For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी के शव पर.....तोटक छंद

बिटिया कछु बोलत नाहि कहौ
चुपचाप पडी कहती न सुनौ
यह तात पुकारत है तुम्ह को
अब धाय उठो उठ धाय चलौ

-----------

रखिया न भुला कहता बिरना
बतिया यह मोरि सुनो बहना
'छुटकी' नहि तोर सहाय भयो
अब धाय उठो उठ धाय चलो
---------
सखियाँ सब खेलन चाह रही
खटिया पर मात कराह रही
यह बात सुनौ नहि देर करौ
अब धाय उठो उठ धाय चलौ
------
बस एक सवाल बसै मन मे
क्यस भूल भयी यह जीवन मे
भगवान कहाँ हम चूक गये
नहि धाय उठे नहि धाय चले
-------

मौलिक अप्रकाशित

Views: 1008

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 10:17pm
आदर्णीया कुमारी जी तथा आदर्णीय अशोक जी....आप सभी का हार्दिक आभार...एक नये कवि को आप का स्नेह और आशीष मिलता रहे तो आगे और अच्छा प्रयास करेंगे
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 9:58pm

आदरणीय मनोज जी सादर, बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है तोटक छंद पर. बहुत बधाई स्वीकारें. लिखते सीखते त्रुटियाँ भी ठीक हो ही जायेंगी. आदरेया राजेश कुमारी जी के कहे से मैं भी सहमत हूँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 10:22am

वह भाय निहारत है बहना-----इसमें भ्रात कर सकते हैं 

मनोज शुक्ल जी दिल को छू गई ये रचना सबसे बिर वक़्त होता है   अपना जुदा होता है एक बाप की मनोदशा का बहुत खूब चित्रण किया है आपने छंद के माध्यम से हार्दिक बधाई 

Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 5:50am
हार्दिक आभार भाई निगम जी...धन्यवाद
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 5:47am
आदर्णीया.....कौशिक जी....सादर आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on April 14, 2013 at 11:40pm

पिता की पीड़ा को मार्मिक शब्दों में सुंदरता से समाहित किया है. बधाई...

Comment by shalini kaushik on April 14, 2013 at 9:00pm

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू  गयी  आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें

Comment by manoj shukla on April 14, 2013 at 7:49pm
आदर्णीय....पाठक जी, त्रिपाठी जी , केवल प्रसाद जी , कुशवाहा जी , पटेल जी ,...आप सभी सहयोगियों का सादर आभार..... भाई त्रिपाठी जी और पटेल जी, मेरी रचना मे जो कमी है उसे बताने के लिए आपका हार्दिक आभार ....सुधारने का प्रयास करेंगे
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 6:51pm

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई, काव्य के जानकार के सुझावों पर गौर करना उचित होगा भाई श्री मनोज शुक्ल जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 14, 2013 at 6:06pm

आदरणीय मनोज जी इस भाव पूर्ण रचना हेतु बधाई स्वीकारें 

तत शिल्प की दृष्टि से आदरणीय विनय भाई से सहमत हूँ 

एक बात और छंद छंद होता है 

और मुक्तक मुक्तक 

छंद आधारित मुक्तक कहे जा सकते हैं 

किन्तु फिर उसे मुक्तक ही कहा जायेगा 

न की छंद 

छंद की दृष्टि से आपकी रचना में बहुत कमियाँ हैं 

जिन्हें भाई साहब ने बखूबी इंगित किया है 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service