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जगह जगह मधुशाला देखी

जगह जगह मधुशाला देखी , नल का पानी बंद मिला 
अंधी नगरी चौपट राजा , किससे शिकायत किससे गिला


दिया दाखिला सब बच्चों को , 
मिली पढ़ाई मात्र नाम की , 
कंप्यूटर मिल रहे खास को , 
बिजली पानी नही आम की , 
आँखो पर पट्टी है या फिर सबको दी है भंग पिला

गूंगे गाये गीत मान के
बहरे सुन सुन कर इतराएँ
अंधों भी उत्सुक हैं ऐसे
महज इशारों मे बौराएँ
बंदर सारे खेल कर रहे ""अजय" मदारी रहा खिला

मौलिक और अप्रकाशित
अजय शर्मा

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Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 9:21pm

बढ़िया कटाक्ष किया सच में अँधेरी नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 9, 2013 at 6:28pm

बहुत बढि़या, आनंद आ गया

Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 12:40am

आदरणीय अजय जी! हर ब्लॉग पोस्ट ने Edit blog Post का आप्शन भी होता है, उसका उपयोग करने से आप जो भी लिखेगे, वही पढने में आएगा, कुछ और नही :), और यह आप्शन ठीक रचना के शीषर्क के ऊपर लोकेटेड है! और ये सारी सुविधाएँ हमारे ही तो लिए है, क्यों न फिर इनका उपयोग किया जाये!

सादर!!        

Comment by ajay sharma on July 8, 2013 at 11:05pm

kripya dusre band ki tisri pankti me   "andhon" ke  bazaye "andhe"  hi padhe 

sabhi ko bahut habut dhanyabaad ..........ki rachna pasand aayiiiiii

 

Comment by Shyam Narain Verma on July 8, 2013 at 12:43pm

आदरणीय

रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..

Comment by Shyam Narain Verma on July 8, 2013 at 12:43pm
आदरणीय


रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 8, 2013 at 8:56am
आदरणीय..अजय जी, रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 5:27am

आ०  अजय जी!

वाह भाई!

शुभकामना इस  रचना पे  

Comment by वेदिका on July 8, 2013 at 4:24am

क्या तीक्ष्ण वार प्रहार है, वाह भाई!

शुभकामनाये लीजिये,  इस चुटीली रचना पे  आ०  अजय जी! 

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