For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! जीव-प्रकृति से प्यार करें !!!

जीव-प्रकृति से प्यार करें,
बनकर धरा हितेश!

पहाड़ों की शिखाओं पर
हरियाली से केश
कुछ घुंघराले
कुछ लट वाले
कुछ तने-तने रेश।1

बहे पवन पुरवाई या
पछुवा चले बयार
इठलाती औ
बलखाती ज्यों
झूमें मस्त दिनेश।2

गूंजें वन में कलरव धुन
ठुमरी औ मल्हार
नृत्य उर्वशी
रम्भा करती
किरने अर्जुन वेश।3

तितली-भौरें-पाखी-जन
करें सुमन से नेह
चूम-चूम तन
कण पराग मन
मिटे तमस औ क्लेश।4

के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2013 at 7:17pm

आ0 शिज्जू भाई जी,    प्रणाम।   आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से मुझमें आत्मबल बढ़ा है।  आपका तहेदिल बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2013 at 7:13pm

आ0 सौरभ सर जी,   सादर प्रणाम।   आपके स्नेह और आशीष के लिए मैं सदा ही ललायित रहता हूं। और जब ऐसा होता है, तो उत्साह और भी बढ़ जाता है।  आपका तहेदिल बहुत-बहुत आभार।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 11, 2013 at 3:11pm

केवल प्रसाद जी आपकी इस रचना को पढ़ने से ज़्यादा गुनगुनाने मे आनंद आ रहा है बेहतरीन बधाई स्वीकार करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 2:55pm

भाई केवल प्रसादजी,  आपने एक अंतराल बाद मुग्ध किया है ! वाह !

क्या भाव.. क्या शब्द.. क्या ही सहज प्रवाह..  पुनः-पुनः वाह..

इस रचना पर अभी इतना ही. 

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 7:51pm

आ0 प्राची मैम जी,  आपकी टिप्पणी मात्र से ही मेरी रचना को पूर्णतः मिल गई और मेरा प्रयास सार्थक हुआ।  आपके स्नेह व उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 7:47pm

आ0 लड़ीवाला सर जी, वास्तव में प्राकृतिक दृश्यों को शब्दों में पिरोना या उकेरना दिल में एक उत्साह, उमंग व स्फूर्ति प्रदान करती है।  आपके स्नेह व उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 7:37pm

आ0 राम शिरोमणि भाई जी,  आपके स्नेह व उत्साहवर्धन से मन प्रसन्न हो गया।  आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 7:36pm

आ0 राजेश भाई जी,  आपका स्नेह व उत्साहवर्धन  से  मन प्रसन्न हो गया।  आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 7:31pm

आ0 कुन्ती मैम जी,  आपका स्नेह व आशीष पाकर रचना सार्थक हुई।  आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 5:58pm

नवगीत पर प्रयास के लिए बधाई आ० केवल प्रसाद जी 

गूंजें वन में कलरव धुन
ठुमरी औ मल्हार
नृत्य उर्वशी
रम्भा करती
किरने अर्जुन वेश....सुन्दर शब्द चित्र.

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service