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अन्तर्मन की लौ अति उज्ज्वल
निश-दिन प्रेम बढ़ाए, प्रकृति अमरता लाए।

गुलमोहर की चुनरी ओढ़ी
पटका अमलतास पीताम्बर
लचकारा लटकाए, झूम-झूम हरषाए।

धानी वाली साड़ी झिल-मिल
घूंघट में आभा छवि पाकर
गाल गुलाल उड़ाए, आंचल किरन सजाए।

सुन्दर सूरत प्यारी मूरत
माथे की बिन्दी चन्द्राकर
घुंघर केश मुख छाए, शबनम भाल थिराए।

अंधड़-लू से कांवरि दौड़े
सांय-सांय शहनाई संजर
डोली जिय धड़काए, मछली मन सकुचाए।

सांवरि सांझ गोधूलि बेला
वर्ण पीत मुख लाल शर्म कर
मन दर्पण सा भाए, देख-देख इतराए।

हिना हाथ की पैर महावर
मिलकर लाल भंवर बन सागर
उथल-पुथल कर ढाए, बड़वानल घबराए।

दुल्हन के शुभ आंसू ढलते
अल्हड़ हवा बहे रज पथ पर
चुनरी उड़-उड़ जाए, पिया मिलन ऋतु आए।

आजा मेंरी प्रियतम प्यारी
गहन तिमिर में आश बंधाकर
धूम-नखत छिप जाए, संशय सोम बुलाए।

रजनी आई तरू में छुप-छुप
पैरों में पायल छम-छम कर
पत्ते राग सुनाए, आंगन नृत्य सुहाए।

तारागण नभ मण्डल की सौं
बादल की बाहों मे बंध कर
चांद झांक शरमाए, लुकछिप खेल खिलाए।

भोर प्रभा की चंचल सिहरन
कलियां तरूणी इठलाती पर
भ्रमर कंज को ध्याए, फूल सदा मुस्काए।

चिडि़यां सरसीं खिल-खिल चहकीं
खग झुंडों के संग फुदक कर
सोहर गीत सुनाए, दाना चुंग उड़ जाए।

मंगल धुन सुन आभा रति मति
बाग बौर अमराई झूम कर
महुआ दिश महकाए, परमानन्द मिलाए।

आवागमन नसावै नित-नित
ज्यों पागल सूरज सिर चढ़कर
तेज धूप छिटकाए, ग्रीष्म उमस उफनाए।

अन्तर्मन की लौ अति उज्ज्वल
निश-दिन प्रेम बढ़ाए, प्रकृति अमरता लाए।


के0पी0सत्यमध् मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:05am

आ0 वेदिका जी,  आपका स्नेह व सराहना पाकर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 18, 2013 at 10:20pm

आ0 सौरभ सर जी,  सादर प्रणाम!  सर जी, आपका सुझाव शिरोधार्य है तथा अनुपालनार्थ मैं प्रतिबध्द भी हूं।   आपके अपार स्नेह और आशीष वचन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by वेदिका on July 18, 2013 at 1:45pm

चुनिन्दा और सुंदर शब्दों के प्रयोग से बहुत ही सुंदर रचना रची आपने, आदरणीय केवल प्रसाद सत्यम जी!

बहुत बहुत बधाई आपको!!  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 1:41pm

भाई केवल प्रसादजी,  आपकी इस रचना पर वाह निकल रही है.

लेकिन यह भी हार्दिक सलाह कि आप कृपया और संयत हों.  शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:41pm

आ0 संदीप भाई जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:40pm

आ0 बृजेश भाई जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:39pm

आ0 अरून निगम सर जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:37pm

आ0 लड़ीवाला सर जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:36pm

आ0 वंदना जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:21pm

ahaa kya sundar rachna ban padi hai aadarneey .,..........bas anand aa gaya bahut bahut badhaai sweekaren saadar

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