For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तान्या : महसूस किया तुमको

इन मौन चट्टानों के सामने खड़ा
यह सोचता हूँ ,
कितनी कठोर हैं ये /
जितनी कठोर लगती हैं
क्या उतनी ही?
या कहीं ज्यादा ?
क्या भेद सकेगा कोई इनको?
और फिर मैं देखता हूँ
आकाश की ओर /
बदली छाई है ,
धूप का कतरा नहीं है ।

और फिर क्या देखता हूँ
तोड़ कर प्रस्तर कवच को ,
मोतियों सा झर रहा है ,
दुधिया झरना ।

भूल जाता हूँ मैं 
कि
कितने कठोर हैं ये पाषाण खंड ,
कि
मैं इन्हें भेद नहीं सकूँगा ,
कि
बदली है / धुप का कतरा नहीं है ।

याद रह जाता है
मृदु हास्य करता
वो झरना / छलछलाता
वो शीतलता , तरलता
वो सिहरन / अपनापन
धूप सी खिल उठी है हर ओर ।

आज मैंने
इस तरह
महसूस किया है तुमको ।

मौलिक एवं अप्रकाशित
अरविन्द भटनागर 'शेखर'

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ARVIND BHATNAGAR on October 8, 2013 at 9:47am

आदरणीया गीतिका जी , बहुत बहुत आभार । 

Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:42am

आ0 राजेश मृदु जी की ही बात दोहराउंगी, अद्भुत है तान्या श्रंखला|

बधाई !! 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on October 4, 2013 at 9:14pm

आदरणीय सौरभ जी , अन्नपूर्णा  जी , संजय जी एवं गीत जी आप सभी के स्नेह और उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभार । 
'शेखर'

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 4, 2013 at 11:53am

बहुत सुंदर भावनात्मक रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय अरविन्द जी

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 9:02am

बहुत सुंदरता से गूँथे हुये भाव अंत तक आते आते मानो सम्मोहित कर लेते है....

सुंदर रचना हेतु सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरविंद शेखर जी....

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 10:44pm

आदरणीय अरविंद भटनागर जी बहुत सुंदर भाव , सुदर संयोजन  बधाई आपको । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 9:02pm

आदरणीय अरविन्द भटनागर ’शेखर’ जी,

आपकी प्रस्तुत रचना हाल की मेरी पढ़ी कई-कई सशक्त वैचारिक रचनाओं पर भारी पड़ती है. हर शब्द संतुलित और शब्द-विन्यास अत्यंत संयत ! प्रयुक्त इंगित सार्थक ! उनके प्रभाव सटीक !
आपकी अन्य रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.


हार्दिक बधाइयाँ.

Comment by ARVIND BHATNAGAR on October 3, 2013 at 8:48pm

आप सभी के स्नेह और उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभार ।
'शेखर'

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 7:21pm

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 6:59pm

किसी पहचानी सी लुप्त सूक्ष्म ऊर्जा को महसूस करना हो तो उसकी आवृति को जीते कई स्थूल अवयव उसे प्रतिबिंबित करते हैं.. एक संवेदनशील मनस उनके प्रति ग्राही होता है...

ऐसी ही संवेदनशीलता हो सुन्दरता से प्रस्तुत करती सफल मर्मस्पर्शी आत्मीय अब्भिव्यक्ति के लिए ह्रदय तल से बधाई आ० अरविन्द भटनागर जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service