For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकुला रही सारी मही .(अन्नपूर्णा बाजपेई)

अकुला रही सारी मही

किसको पुकारना है सही ।

 

सोच रही अब वसुंधरा

कैसा कलुषित समय पड़ा 

बालक बूढ़े नौजवान

गिरिवर तरुवर आसमान

किसको पुकारना .........

अखंड भारत का सपना

देखा था ये अपना

खंडित हो कर बिखर रहा

न जन मानस को अखर रहा

अकुला रही .................

ढूँढने पर भी अब मिलते नहीं 

राम कृष्ण से पुरुषोत्तम कहीं 

गदाधर भीम अर्जुन धनु सायक नहीं 

गांधी सुभाष भगत  से नायक नहीं

अकुला रही .............

रण बांकुरों से वसुंधरा

हर युग मे अल्हादित रही

किन्तु अहो ! क्या कोई

बचा अब बांका लाल नहीं

अकुला रही सारी मही

किसको पुकारना ............ 

अप्रकाशित एवं मौलिक    

( संशोधित रचना )

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on December 14, 2013 at 9:37pm

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी , अरुण जी , राम शिरोमणि जी एवं  प्रिय वंदना आप सभी का हार्दिक आभार । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 5, 2013 at 9:11am

धरती का दर्द ..जो आपने महसूस किया .बिलकुल सही है ..आपको ढेरों बधाई 

Comment by Vindu Babu on December 5, 2013 at 9:05am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी नमस्ते।

मही की व्यथा को अभियक्ति देने के लिए आपको बधाई।

रचना महत्वपूर्ण कथ्य से सजी है।

सादर

Comment by ram shiromani pathak on December 5, 2013 at 12:30am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , बहुत सुन्दर  रचना........हार्दिक बधाई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 4:32pm

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया अन्नपूर्णा जी बधाई स्वीकारें

Comment by annapurna bajpai on December 3, 2013 at 11:18pm

आ0 मीना जी , आ0 भण्डारी जी , आ0 कुंती दीदी , आ0 डॉ गोपाल नारायण जी आप सभी के लिए हार्दिक आभार । 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 6:09pm

अन्नपूर्णा  जी i

धरती माँ की  इस व्यथा का हरण करने वाला तो कोई नज़र  नहीं आता i

किसी अवतार की ही प्रतीक्षा  करनी होगी पर तब तक हम -------=

मधुर भावाभिव्यक्ति के लिए सुभकामनाये i

Comment by coontee mukerji on December 3, 2013 at 4:16pm

बहुत सुंदर रचनाअन्नपूर्णा जी.हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 3, 2013 at 2:01pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , बहुत सुन्दर भाव , बहुत सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई !!!!!!

Comment by Meena Pathak on December 3, 2013 at 1:17pm

बहुत सुन्दर रचना आ० अन्नपूर्णा जी , बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
7 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service