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दम भूख से हैं तोड़ते मासूम जमीं पर
पीकर शराब मस्ती में तू झूम जमी पर
बच्चे मनाते फुलझड़ी बिन रो के दिवाली
पीकर तुझे लगे मची है धूम जमी पर
अम्बार फरजी डिग्रियों के तूने लगाए
लटका के अब गले में इन्हें घूम जमी पर
दो बूँद अश्क जो गिरे आँखों से यूं तेरी
सारे शहर में उग गए मशरूम जमी पर
सड़कों पे गर पिया तो पोलिश का भी है पंगा
बनवा ले झुरमुटों में ही कोई रूम जमी पर
दिन ढलते शाम होते ही अद्धा तू गटक ले
जन्नत है कैसी हो तुझे मालूम जमी पर
मासूम लाडले तेरे भटकेंगे गली में
हो वक़्त से पहले ही न मरहूम जमी पर
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अभ्यास के लिए अच्छा है. संप्रेषनीयता पर भी ध्यान दें. वर्ना शेर के मिसरों में राबिता की कमी दिखेगी.
शुभेच्छाएँ
क्या मेरी टिप्प्णी दृष्टिगोचर नहीं हो रही ?
आदरणीय बागी जी के कमेन्ट को लगता है कोई पीने वाला ले उड़ा :):):):)
दम भूख से हैं तोड़ते मासूम जमीं पर
पीकर शराब मस्ती में तू झूम जमी पर----पीने वालों पर अच्छा व्यंग किया है आशुतोष जी
बच्चे मनाते फुलझड़ी बिन रो के दिवाली
पीकर तुझे लगे मची है धूम जमी पर ----इस शेर को कई दफ़े पढ़ा पर समझ नहीं पाई
अम्बार फरजी डिग्रियों के तूने लगाए
लटका के अब गले में इन्हें घूम जमी पर -----काम नहीं बने तो गले में डाल कर ही घूमेगा
दो बूँद अश्क जो गिरे आँखों से यूं तेरी
सारे शहर में उग गए मशरूम जमी पर ----अश्कों से मशरूम उगे तो वाह वाह बीज की जरूरत ही नहीं :))))))
सड़कों पे गर पिया तो पोलिश का भी है पंगा
बनवा ले झुरमुटों में ही कोई रूम जमी पर -----पोलिश ????झुरमुट तो जमीं पर हो होते हैं न ??
दिन ढलते शाम होते ही अद्धा तू गटक ले
जन्नत है कैसी हो तुझे मालूम जमी पर ----जी सही कहा नालियों में जन्नत मिलती है फिर उन्हें
मासूम लाडले तेरे भटकेंगे गली में
हो वक़्त से पहले ही न मरहूम जमी पर --भाव उन्नत है बह्र गड़बड़ा रही है
बधाई ....इस ग़ज़ल को पढ़कर पीने वाले पीना भूल जायेंगे....:):):)
बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय डॉ. आशुतोष जी........बधाई आपको
दम भूख से हैं तोड़ते मासूम जमीं पर ............ प्रयोग समझ नहीं पाया मै आदरणीय ... सादर
पीकर शराब मस्ती में तू झूम जमी पर////// सुझाव है क्या?
कृपा कर मार्गदर्शन करें। । सादर
आदरणीय आशुतोष सर बढ़िया ग़ज़ल कही है दाद कुबूल फरमाएं
बहुत ही खूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल
बहुत बहुत बधाई आदरणीय आशुतोष जी
।
आदरणीय राम शिरोमणि जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद .सादर
आदरणीया कुंती जी ..आपका प्रोत्साहन मुझे नूतन लिखने की प्रेरणा देता है ,,सादर धन्यवाद के साथ
आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..प्रोत्साहन के लिए तहे दिल शुक्रिया ...सादर
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