For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारा पहला प्यार

तुम्हारा पहला प्यार

सरिता के दोनों तटों को सहलाता कल-कल करता –

अबाध गति सा बह रहा था हमारा प्यार।

वसंती हवा की मदिर सुगंध लिए उन्मुक्त-

सी थी हमारी मुस्कान,

धुले उजले बादलों में छुपती-छुपाती –

इंद्र्धनुष जैसी थी हमारी उड़ान ।

हवा के झौंके ने सरकाया था दुपट्टा मुख से-

तुम अपलक निहारते रहते,

बस तुम ही हो मेरा पहला प्यार-

धीरे से मधुर शब्दों में कहते ।

आखिर वो सलौना सा दिन आ ही गया,

जिस का हम दोनों को था वर्षों से इंतजार ।

चाँद तारे साक्ष्य बन कर आए थे बारात,

ढ़ोल मंजीरे सहनाई ले कर आई-

फेरों वाली मनभावन सुंदर रात ।

अब मैं धड़कती थी तुम्हारी साँसों में,

सांसें लेती थी सुगंध बन कर-

तुम्हारी ही साँसों में।

तुम मुझ को लगते स्वच्छ नीला आकाश-

उसमें अठखेलियाँ करती “मैं” पूनम का चाँद।

जब मैं चमकती मोती बन तुम्हारी-

सिप्पी जैसी आँखों में,

तुम कहते, अब तुम बन गई हो-

मेरी सुंदर पहचान।

ढेरों कसौटियों पर तुम ने कसा था,

पूर्ण आश्वस्त हो खरा सोना कहा था ।

फिर न जाने एक घटना घाटी,

मेरा प्रतीक्षा करना तुम्हारी ऊब बन गई ,

खोखली लागने लगी मेरी मनुहार और –

अमावस्या की रात सा मेरा एक निष्ठ प्यार।

कौए के घौसले में कोयल के बच्चे सी-

सहमी मेरी अपनी एकाकी पीड़ा

हृदय पर किया हो किसी ने –

गहरा आघात,

कैसे पूँछूं उनसे, उनके दिल की बात।

पर पूछना चाहती हूँ मैं बार-बार,

कहो न साथी, मितवा,

क्या यही था, तुम्हारा पहला प्यार???       

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 775

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on August 6, 2014 at 10:55pm

बहुत शुक्रिया महिमा श्रीजी /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 6, 2014 at 10:55pm

आ० विजय सर,बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 6, 2014 at 10:54pm

आ० सर,बहुत शुक्रिया /सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 12:12pm

आत्मीय निवेदन की भावुकता रोचक ढंग से प्रस्तुत हो पायी है. हृदय से इस संवेदनशील अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें, आदरणीया
सादर

Comment by MAHIMA SHREE on August 3, 2014 at 3:27pm

वाह बहुत सुंदर अभिवयक्ति ...बहुत बहुत बधाई आदरणीया

Comment by vijay nikore on August 3, 2014 at 3:16pm

//कहो न साथी, मितवा,

क्या यही था, तुम्हारा पहला प्यार???  //

यूँ तो सारी रचना के भाव अच्छे हैं, परन्तु, इन दो पंक्तिओं ने बहुत-कुछ कह दिया । बधाई, आदरणीया कल्पना जी। 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 2, 2014 at 10:31pm

बहुत शुक्रिया आ० विजय शंकर सर /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 2, 2014 at 10:30pm

आ० गोपाल नारायण सर ,बहुत बहुत आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 2, 2014 at 10:29pm

आ० लक्ष्मण प्रसाद सर बहुत बहुत आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 2, 2014 at 10:29pm

आ० जितेंद्र भाई, हार्दिक शुक्रिया /सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
59 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service