For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- रंग पानी सा....
बह्र - 2122, 2122, 2122


नारि ही जब शक्ति की दुर्गा-सती है।
आज कल हालात की मारी हुयी है।।


काल बन भस्मासुरों को भस्म कर दें,
निर्भया बन वह सड़क पर लुट रही है।


विष्णु-शिव-ब्रह्मा हुआ है आदमी अब,
सृ-िष्ट - नारी की कहानी त्रासदी है।


नित गरीबी आग में पकती रही पर,
भूख, बच्चों की पढायी सालती है।


रक्त नर का पी कपाली बन लड़ी जो,
खून में लथपथ शिवानी सो रही है।


द्राैपदी-सीता-अहिल्या चुप रही कब ?
क्रान्ति जन-जन में यहॉं पलने लगी है।


न्याय अन्धा, तन्त्र बहरा, मूक जन का-
रंग पानी सा, मगर पानी नही है।


के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 12:36am

बहुत अच्छी कोशिश के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें, भाई केवल प्रसाद जी. 

ई  के काफ़िये के साथ ईं  का काफ़िया दोषपूर्ण माना जायेगा.

आप सतत रचनाशील रहें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 1, 2014 at 8:06pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  प्रस्तुत गजल पर आपके उत्साहवर्धन एवं उचित मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 1, 2014 at 8:06pm

आ0 गोपाल भाई जी,  प्रस्तुत गजल पर आपके उत्साहवर्धन एवं उचित मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 1, 2014 at 8:03pm

आ0 कल्पना जी,  प्रस्तुत गजल पर आपके उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 1, 2014 at 7:58pm

आ0 विजय शंकर भाई जी,   उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2014 at 11:04pm

आदरणीय केवल भाई , खूबसूरत ग़ज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ !

रक्त नर का पी कपाली बन लड़ी जो,
खून में लथपथ शिवानी सो रही है।   लाजवाब शेर , बधाई ||

मतले को शायद ऐसा करना जादा अच्छा रहेगा -- आज क्यों हालात की मारी हुयी है ,  अभी बात साफ़ नहीं हो रही है | सोच के देखिएगा |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 11:44am

रक्त नर का पी कपाली बन लड़ी जो,
खून में लथपथ शिवानी सो रही है।

वाह------ अति सुन्दर i  क्या बात है केवल जी i

Comment by kalpna mishra bajpai on July 29, 2014 at 10:23am

रक्त नर का पी कपाली बन लड़ी जो,
खून में लथपथ शिवानी सो रही है।..............................आदरणीय केवल सर बहुत सुंदर गजल कही है आपने ॥बहुत बधाई /सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 28, 2014 at 11:00pm
न्याय अन्धा, तन्त्र बहरा, मूक जन का-
रंग पानी सा, मगर पानी नही है।
बात है , बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service