“सुना है शादी के बाद हाथों की लकीरें बदल जाती हैं.“ सुमन ने अपनी छह महीने पहले ब्याही बहन से पूछा
"वो तो तू ही जाने ज्योतिषाचार्या, मुझे तो इतना पता है की सात फेरों के बाद औरत के पाँवों की रेखाएं अवश्य बदल जाती है और ज़िन्दगी चक्र-घिरनी हो जाती है |"
उसने गहरी साँस भरते हुए कहा |
सोमेश कुमार
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
वाह्ह्ह बहुत सुन्दर लघु कथा बहुत सच्चाई है बहन के जबाब में शीर्षक को सार्थक करती हुई लघु कथा बहुत- बहुत बधाई आपको
सुन्दर लघुकथा के लिए दिली बधाइयाँ | |
क्या कहने सोमेश जी, आदर्श और यथार्थ को पलक झपकते सामने रख दिया है, बहुत ही खूबसूरत लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें।
बहुत बढ़िया रचना आदरणीय आलोक जी. बधाई आपको
आप सभी के आशीर्वाद से इस जीवन-सत्य को बल मिला ,तहे दिल से शुक्रिया
क्या बात है i सुन्दर अभिव्यक्ति i
बहुत खूब भाई सोमेश कुमार जी, विवाहिता स्त्री का जीवन वाकई एक चक्कर-घिरनी जैसा ही होता है अक्सर। सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई।
जिन्दगी चक्कर घिन्नी हो जाती है - यह बात शादी के बाद पत्नी के लिए जितनी सही है उतनी ही बेचारे पति की लिए भी है | सुंदर लघु कहानी के लिए बधाई
बहुत ही सुन्दर जवाब , सोमेश कुमार जी , कथा अच्छी है , बधाई।
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