For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामान्य ज्ञान का प्रश्न---डॉo विजय शंकर

व्यवस्था का मान करें ,
उस से ज्यादा जो व्यवस्था में हैं ,
उनका सम्मान करें।
वे कौन हैं , कहाँ से आये हैं ,
पूछ कर न अपना
अपमान करें।
जो व्यवस्था में हैं ,
वे माननीय , आदरणीय हैं ,
पूज्यनीय , वन्दनीय हैं ,
ओजस्वी ,प्रकाशमान
देवतास्वरूप हैं ,
उनकें ज्ञान पर , उनकें
सामान्य ज्ञान पर प्रश्न न करें ,
वे स्वयं सामान्य ज्ञान का प्रश्न हैं,
बड़ी परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान
के प्रश्न पत्रों में पूछे जाते हैं ,
उन पर जो सही उत्तर दे दें ,
वे मेधावी ज्ञानी कहलाते हैं ,
परिक्षा में उच्च अंकों से पास हो जाते हैं ,
अच्छी सरकारी नौकरी पा जाते हैं ,
उसी व्यवस्था और उन्हीं व्यवस्थाकारों
के आगे सर नवाते हैं ,
उन्हीं का हुकुम बजाते हैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 10:52am
आपको रचना का कटाक्ष पसंद आया , आभार, आदरणीय सुश्री माला झा जी, सादर ,
Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:49am
बहुत ही सटीक कटाक्ष!सादर बधाई।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 5:10am
.
आदरणीय श्री सुनील जी ,आपके अनुमोदन के लिए आपका आभार है, आपकी बधाइयों के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 5:06am
सही कहा आपने , यहाँ तो व्यवस्था देने वाले ही व्यवस्था को " ठेंगा " दिखाते हैं ! फिर भी सभी कुछ सामान्य है , व्यवस्थित ,ठीक-ठाक .............
आदरणीय राज कुमार आहूजा जी ,आपको कविता अच्छी लगी , आपका आभार है, आपकी सद्भभावनाओं के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 5:00am
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी ,आपको व्यंग अच्छा लगा , आपका आभार है, आपकी सद्भभावनाओं के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 4:57am
आदरणीय सुश्री महिमा जी ,आपको व्यंग अच्छा लगा , आपका आभार है, आपकी बधाइयों के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 4:55am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,आपको कविता अच्छी लगी, आपने सबसे प्रमुख पंक्ति उदृहत् की है , आपका आभार है, आपकी बधाइयों के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 4:49am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार, आपको कविता अच्छी लगी, प्रसन्नता हुयी, आपका आभार है, आपकी मुबारकबाद के लिए भी ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by shree suneel on May 2, 2015 at 12:42am
आदरणीय विजय शंकर सर, क्या सही चित्र उकेरा है आपने!
/उनकें ज्ञान पर , उनकें
सामान्य ज्ञान पर प्रश्न न करें ,
वे स्वयं सामान्य ज्ञान का प्रश्न हैं,/
समाज आख़िरी पंक्तियों को जीने के लिए विवश है.
Comment by rajkumarahuja on May 1, 2015 at 9:55pm

यहाँ तो व्यवस्था देने वाले ही व्यवस्था को " ठेंगा  " दिखाते हैं  ! फिर भी सभी कुछ सामान्य है , व्यवस्थित ,ठीक-ठाक .............

 बहुत सुन्दर प्रस्तुती आदरणीय डा.विजय शंकर जी , सादर ..!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service