For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत (सीमा अग्रवाल)

आवश्यकता नहीं ‘खबर’ अब

है मनोरंजन

 

ओढ़ चुनरिया गाँव गाँव

कूल्हे  मटकाती

चिंता चिंतन  झोंक  भाड़ में

मन  बहलाती

 

शर्त मगर

नाचेगी बैरन

बस तब तक ही

पैरों पर जब तक सिक्कों की 

है खन खन खन

 

कुशल  अदाकारों  के 

जैसी रंग  बदलती

मौसम  जैसा हो वैसे  ही

रोती  हँसती

 

धता बताती घोषित कर

कठहुज्जत जिसको

निमिष मात्रा मे ही

करती उसका अभिनन्दन

 

बौने लम्बे चतुर मसखरों

के चटकारे

बन्दर भालू शेर सुआ

नट-नटनी सारे

 

सम्मोहन में बाँध

दिखातें हैं कुछ का कुछ

 

सर्कस के करतब के जैसी

है मन भावन 

#सीमा  अग्रवाल 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 10, 2015 at 2:23pm

नवगीत की अवधारणा के पीछे जनहित और लोक-सामर्थ्य की भावना प्रमुख रूप से काम करती है. आजकी ’सूचना’ क्रान्ति जिन विन्दुओं से प्राण पाती है, उनमें से कई विन्दु घनघोर व्यावसायिकता से संजीवनी पाते हैं, जिनके अपने हेतु तो हैं ही, उन विन्दुओं के अपनी व्याख्याएँ भी है. इन हेतुओं और व्याख्याओं से साहित्य प्रभावित है, तो उसका भरपूर प्रतिकार भी करता है.

आदरणीया सीमाजी का प्रस्तुत नवगीत अपने रचनाकर्म के प्रति सचेत है. साहित्य-समझ और और उसके प्रति धर्म-निर्वहन केलिए जो आवृति होनी चाहिये, प्रस्तुत नवगीत पूरी तरह से संतुष्ट कर रहा है.

समाचार और सूचनाएँ जिस तरह से अब दायित्व न हो कर रंजन की श्रेणी के आइटम हो गये हैं वह एकबारग़ी तो सिहरा देता है. संवेदनहीन समाचार-सूचना घरानों और उनके चैनलों के व्यवहार समाज की इकाइयों (व्यक्ति) की सोच और उनकी तत्परता को किस निर्लज्जता के साथ भोथर करते जा रहे हैं, उसके प्रति नवगीतकार पूरी तरह से मुखर है.

प्रस्तुति की शैली आवश्यकतानुरूप व्यंग्यात्मक है तथा भाषा-शिल्प, बिम्ब और कथ्य आशानुरूप अभिव्यंजनात्मक हैं, अतः सटीक हैं.
इस नवगीत को साझा कर आदारणीया सीमाजी ने नवगीतकार के धर्म का निर्वहन किया है.
इस प्रखरता के साथ इस विषय को संतुष्ट करने केलिए सादर बधाइयाँ आदरणीया सीमाजी.

Comment by seema agrawal on May 5, 2015 at 12:51am

शुक्रिया महिमा

Comment by seema agrawal on May 5, 2015 at 12:50am

शुक्रिया विजय शंकर जी

Comment by seema agrawal on May 5, 2015 at 12:50am

शुक्रिया आशुतोष मिश्रा जी

Comment by seema agrawal on May 5, 2015 at 12:49am

शुक्रिया गिरिराज भंडारी जी .........जिस देश में फांसी जैसे कार्यक्रमों को स्पोंसर मिल जाते हैं तो वहाँ खबर तो मनोरंजन ही हो गयी ना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 3, 2015 at 9:11pm

आदरणीया सीमा जी ,  आज की बिकाऊ मीडिया पर अच्छा प्रहार किया है !! दिली बधाई रचना के लिये ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 2, 2015 at 11:40pm

आदर्नीया सीमा जी ..वर्तमान परिदृश्य पर बिलकुल खरी उतरती इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 8:18pm
सुन्दर, " दिखातें हैं कुछ का कुछ " वास्तविकता यही है , हमारे यहां वैसे भी उपभोक्ता संस्कृति नहीं है, परोसने वाले की संस्कृति हैं , उसी का वर्चस्व चलता है।
बधाई , इस प्रस्तुति पर आदरणीय सुश्री सीमा अग्रवाल जी, सादर।
Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 8:08pm

आज के मिडिया के व्यवहार को  रेखांकित करती नवगीत के लिए बहुत बहुत बधाई आ. सीमा दी, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service