For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरी कहानी ...(अगज़ल) ...इंतज़ार

पल्लू लहरा देते हैं वो हवा का रूख़ देख कर
बीमार हो जाते हैं हम भी हसीं दवा देख कर ! 

यूँ तो हम तुम्हारे सिवा किसी और पे मरते नहीं
महफ़िल हसीनाओं की हो तो शिरकत से डरते नहीं ! 

तूने अगर दिल में अपने मुझे घर दिया होता
तन्हाईओं की बारिशों से मैं ना गल गया होता ! 

सुना है मिजाज़ गर्म और नज़र तिरछी है उनकी
'इंतज़ार' हम कहाँ मरते हैं हसीं बद दुआओं से उनकी ! 

तुम बिन ख़त्म हो जायेगी तिलस्मी दुनियाँ मेरी
अधभरे पन्नों में खो जायेगी ये अधूरी कहानी मेरी ! 

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 4, 2015 at 2:52pm

आदरणीय Samar kabeer जी शुक्रिया ...आप सही कह रहे हैं ...गिनती तो सीख सकता हूँ मगर बिना उर्दू के ग़ज़ल गजल ही रह जायेगी ...फिर भी कोशिश करूँगा वक़्त के साथ ....सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 4, 2015 at 2:49pm

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 4, 2015 at 2:49pm

आदरणीया rajesh kumari जी तहे दिल से शुक्रिया ...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 4, 2015 at 11:56am

अच्छी प्रस्तुति है बधाई आपको आ० मोहन जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 4, 2015 at 11:55am

अच्छी प्रस्तुति है बधाई आपको आ० मोहन जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 4, 2015 at 11:55am

अच्छी प्रस्तुति है बधाई आपको आ० मोहन जी .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 10:37pm

सुना है मिजाज़ गर्म और नज़र तिरछी है उनकी
'इंतज़ार' हम कहाँ मरते हैं हसीं बद दुआओं से उनकी !

क्या बात है आदरणीय!हार्दिक बधाई! सादर!

Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 3:11pm
जनाब मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ,ओबीओ पर ग़ज़ल की कक्षा भी उपलब्ध है ,उसका लाभ उठाऐं ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2015 at 12:39pm

मन-भावक।  बधाई, सादर। "

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 3, 2015 at 10:31am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आप की टिप्पणी मेरे पेज पर है मगर यहाँ नहीं किसी तकनीकी समस्या की वजह से ....आप का बहुत बहुत धन्यवाद ...सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
24 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
29 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
32 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
46 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
52 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
18 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service