मेरे जीवन में तुम आके बरसो
आसमानी बादल बन के ना बरसो
पास आ सैलाब बन के बरसो
पुरवाई का झोंका बन के ना बरसो
प्यार की अंगार बन के बरसो
मिलन की आस बन के ना बरसो
बोसों की बौछार बनके बरसो
चांदनी बन के ना बरसो
चकोरी की प्यास बन के बरसो
उमंगों के आकाश से
एहसासों की बारात बन के बरसो
तनहाइयाँ बहुत हुईं
एक मिलन की रात बन के बरसो
अब जैसे भी बरसो ....
मगर कुछ ऐसे बरसो
कि बेहिसाब हो के बरसो !!
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अति सुन्दर ! हार्दिक बधाई।
आदरणीया rajesh kumari उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार ....सादर
आदरणीय maharshi tripathi जी बहुत बहुत धन्यवाद ...सादर
सुन्दर प्रस्तुति आ० मोहन सेठी जी,हार्दिक बधाई |
सुन्दर भाव अभीव्यक्ति पर सादर बधाई आ. Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी |
आदरणीय :
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी
Sushil Sarna जी
krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी
Samar kabeer जी
आप सबका हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएं....सादर
अच्छे कविता है सेठी जी , सादर
तनहाइयाँ बहुत हुईं
एक मिलन की रात बन के बरसो
अब जैसे भी बरसो ....
मगर कुछ ऐसे बरसो
कि बेहिसाब हो के बरसो
बहुत खूब आदरणीय … दिल के अहसासों को आपने बड़ी खूबसूरती से कागज़ पर उतारा है आपने .... हार्दिक बधाई।
पूर्णता की आशा लिए सुंदर रचना! हार्दिक बधाई आ० इन्तजार सर!
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