ये मेरे दिल में जो तूने
एक भांग का पौधा
बो दिया था
अब वो बड़ा हो गया है
और लत लग गई है मुझे
रोज़ दो पत्ती खाने की...
प्यार के नशे में तेरे
डूबना बड़ा अच्छा लगता है
कहते हैं कि नशा गुनाह है
मगर यहाँ किसे परवाह है
अगर मैं मुजरिम हूँ
तो सिर्फ़ तेरा
तू चाहे जो सज़ा दे दे
मंज़ूर है सब
मगर शर्त ये है कि
कभी कभी इसे सींच देना
अपने एहसासों की बौछार से !!
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
नशा ये प्यार का नशा है - - -बहुत बेजोड़ है ये प्यार की भांग ,बधाई मोहन भाई |
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी तहे दिल से आपका धन्यवाद ....सादर
आदरणीय shree suneel आप का अभिनन्दन एवं हार्दिक आभार पसन्दगी के लिये ...सादर
आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आप के प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार ....सादर
आदरणीय मोहन भाई , सुन्दर , मर्मस्पर्शी रचना हुई है , हार्दिक बधाई आपको ।
वाह! आ० ऐसी मुहब्बत और विरह के रंग में डूबी ऐसी कल्पनाए! तो बस आप ही कर सकते है!बहुत सुन्दर!
आदरणीया rajesh kumari जी हार्दिक आभार आप की उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये ....सादर
आदरणीय vinaya kumar singh जी हार्दिक आभार पसंदगी के लिये ...सादर
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