For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''फ़लक पे सितारे चमक करके रोये'' (गज़ल)

१२२  /१२२  /१२२  /१२२

उजाले बहाये धधक करके रोये

फ़लक पे सितारे चमक करके रोये।

 

कोई चाँदनी बेवफ़ा तो थी वर्ना

क्यूँ सीना जलाये दहक करके रोये।

 

नमक इश्क का पी बहुत थीं ये आँखें

अदा अब ये सारे नमक करके रोये।

 

जो गम हम मिटाने चले जाम उठाने  

तो पैमाँ भराये छलक करके रोये।

तेरी खुश्बुओं से घर आँगन भराया

शजर फूल सारे महक करके रोये।

 

सलामत रहे तू दुआ है  हमारी

ये सुन गम के मारे फ़फक करके रोये।

 

बहुत शादमां थे गले से लगाकर

ता उम्र अब शरारे दहक करके रोये।

है सुनता बहुत आसमां भी हमारी

घटा घिर-घिराये चमक करके रोये।

 

मुहब्बत सफर है, नहीं कोई मंजिल

यही पा हमारे टपक करके रोये।

 

वफ़ा का हमारी सिला ये मिला है

नजर और नजारे फ़लक कर के रोये।

 

________________________________

मौलिक व् अप्रकाशित © ‘जान’ गोरखपुरी

________________________________

Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 8, 2015 at 8:41pm
हार्दिक आभार आ.रामअवध जी।मार्गदर्शन बनाये रक्खे। सादर।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 8, 2015 at 12:26pm
बधाई गजल में सफल प्रयोग के लिये
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 8, 2015 at 7:57am
तहेदिल से सुखन्वजी के लिए शुक्रिया आ.समर सर।नमन।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2015 at 10:51pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी ,आदाब,वाह,बहुत ख़ूब,अच्छी ग़ज़ल कही है आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 10:14pm

प्रस्तुत गज़ल में दो काफ़िया को साथ लेकर निभाने का प्रयास किया है! गुनीजनों से निवेदन है कि जो कुछ त्रुटी रह गयी है बताने की कृपा करें!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 10:07pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी हार्दिक आभार!

सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 10:06pm

आ० हर्ष महाजन सरजी सुखन्न्वाजी के लिए तहेदिल से शुक्रिया!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 10:05pm

तहेदिल से आभार आ० कांता जी,गज़ल में सबसे मूल तत्व अहसास ही है ...आपकी प्रशस्ति प़ाकर रचनाकर्म सफल हुआ!

सादर!

Comment by Shyam Narain Verma on October 7, 2015 at 5:37pm

अच्छी गजल के लिये बधाई

सादर 

Comment by Harash Mahajan on October 7, 2015 at 1:34pm

"

है सुनता बहुत आसमां भी हमारी

घटा घिर-घिराये चमक करके रोये।"
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आ० क्रिशन जी !1


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service