For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘रिमझिम के तराने लेके आई बरसात.. याद आये किसी की वो पहली मुलाक़ात’ ---गाना बज रहा था  बिजनेसमैन आनंद सक्सेना साथ साथ गुनगुनाता जा रहा था रोमांटिक  होते हुए बगल में बैठी हुई पत्नी सुरभि के हाथ को धीरे से दबाकर  बोला- “सच में बरसात में लॉन्ग ड्राइव का अपना ही मजा होता है”.

“मिस्टर रोमांटिक, गाड़ी रोको रेड लाईट आ गई”  कहते हुए सुरभि ने मुस्कुराकर हाथ छुड़ा  लिया|

अचानक सड़क के बांयी और से बारिश से  तरबतर  दो बच्चे फटे पुराने कपड़ों में कीचड़ सने हुए नंगे पाँव से गाड़ी के पास आकर बोले –“आंटी हमें अगले चौराहे तक छोड़ देंगी  क्या? वहाँ हमारा घर है” |

“बिठा लें क्या?” सुरभि ने पूछा

“अरे नहीं पूरी गाड़ी खराब कर देंगे देख नहीं रही हो पूरे भीगे हैं और पैरों में कितनी कीचड़ लगी हुई है”

जब  तक सुरभि कुछ बोलती ग्रीन सिग्नल हो गया आनंद ने गाड़ी आगे बढ़ा दी |

बारिश और तेज हो चली थी आनंद को जैसे अचानक कुछ याद आया उसने सुरभि से पूछा– “टॉमी का घर बाहर  कर दिया था या नहीं?”

“ हाँ-हाँ  कर दिया था”

 “चलो शुक्र है नहीं तो कल उसे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता”|

घर पँहुचते ही दोनों सबसे पहले बाहर बालकनी में गये जहाँ टॉमी  बाहर बारिश में इत्मीनान से सो रहा था उसे ऐसे देख कर दोनों को हैरानी हुई पास जाकर उसके घर में झाँका तो हतप्रभ रह गए  तीन पिल्ले  कीचड़ में सने हुए उसके गद्दे पर बेखबर सो रहे थे  उनको झांकते देख टॉमी  उन पर भौंकने लगा|

 सुरभि हँसते हुए  बोली “देखो तो सड़क के पिल्लों को अपने घर में सुला कर  खुद बाहर सो रहा है ये संत महात्मा और हमे ही भौंक रहा है न जाने क्या कह रहा है”

“बस बस तू क्या कह रहा है बेटा मैं समझ गया” आनंद मुस्कुराते हुए बोला –

“क्या समझ गए?” सुरभि ने पूछा

“यही की हम इंसान कितने कमीने होते हैं”|       

------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 28, 2017 at 7:38pm

आद० बैज नाथ शर्मा जी .आपको लघु कथा पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया .

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 28, 2017 at 4:36pm

बहुत सुन्दर ...मार्मिक लघु कथा ...बहुत बहुत बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 27, 2017 at 5:25pm

आद० गिरिराज जी ,लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और सराहना से मुग्ध हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 8:23pm

आदरनीया राजेश जी , अच्छी संदेश प्रद  लघुकतहा रची है आपने , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2017 at 6:34pm

आद० डॉ० आशुतोष जी,लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और अपने विचार साझा करना एक सुखद अनुभव करा रहे हैं सच में लघु कथाएँ या कहानियाँ हमारे आस पास होने वाली घटनाओं या वातावरण से ही जन्म लेती हैं इस कहानी के पीछे भी एक सच्चाई है जिसको शब्दों का जामा पहनाया है हाँ एक सार्थक सन्देश जो मैं जानवर के माध्यम से इंसान को देना चाहती थी उसी के मद्देनजर इस कहानी को आगे बढाया गया लघु कथा में एक रोचक अंत के साथ कोई नसीहत य सकारात्मक पक्ष भी डालना मेरी कलम का स्वभाव समझिये .आपका दिल से बहुत बहुत आभार तथा आपके विचारों का हृदय से स्वागत है .  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 5:40pm

आदरणीया राजेश जी आपकी लघुकथाए सीधे दिल से संवाद करती हैं ..मुझे अब ठीक से याद नहीं ..तोते को संदर्भित करती आपकी पहली लघु कथा को पढ़कर इस बिधा के प्रति मेरी रूचि बढ़ी थी तब से सतत प्रकाशित रचनाओं में आपकी ,आदरणीय प्रभाकर जी बागी जी और शेख जी की लघु कथाओं को मेरी निगाह ढूंढती रहती है .लघु कथा लेकिन लिखना तो दिवास्वप्न जैसा है //आपको पढता हूँ तो लगता है ये मंजर तो मेरे जीवन में कई बार घटित हुआ लेकिन बस वो मंजर सूक्ष्म सोच में तब्दील न हो सका / आदरनीय मिथिलेश जी के साथ प्रतिक्रियाओं के माध्यम से स्थापित संवाद से इस बिधा को समझने की दृष्टि पैनी हुयी है / आदरणीया निवेदन के साथ एक बात जरूर है .“चलो शुक्र है नहीं तो कल उसे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता”|इस मोड़ पर भी कथा एक सार्थक सन्देश दे रही है ..मैं इस बिधा में बिलकुल भी जानकार नहीं हूँ ..हाँ आज मिथिलेश जी के बिचारों को पढ़कर उनसे और फिर आपके बिचारों के पढ़कर आपसे सहमत हो रहा हूँ /दो ही तर्क मुझे भा रहे हैं / इस शानदार रचना पर ढेर सारी बधाई देते हुए सादर प्रणाम के साथ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2017 at 11:40am

आद० नीलम उपाध्याय जी ,आपको लघु कथा का कथानक रुचिकर लगा आपका बहुत बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2017 at 11:40am

आद० नीलम उपाध्याय जी ,आपको लघु कथा का कथानक रुचिकर लगा आपका बहुत बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2017 at 11:39am

आद० मिथिलेश भैया.आपकी विस्तृत समीक्षा /प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभारी हूँ आपने इस लघु कथा को अपने द्रष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है जो पाठक का एक हक भी किन्तु इसी संशय का जबाब मैं नीचे भी दे चुकी हूँ इसको भैया फ्लेशबैक के तरीके से भी लिखने का प्रयास किया किन्तु वो बात नहीं आई लघु कथा को वहीँ लाकर भी छोड़ सकती थी जहाँ आपने ब्रेक करके देखा किन्तु जो मैं एक जानवर के माध्यम से इंसान को नसीहत देना चाहती थी जो इस लघु कथा की रीढ़ समझिये वो बात कहाँ आ पाती वैसे भी इस कथा में कालखंड दोष मैं नहीं मानती कहानी एक ही वक़्त में आगे बढ़ रही है |बाकी तो हर किसी का अपना अपना नजरिया है इस पर चर्चा होना भी लघु कथा की सार्थकता है .बहुत बहुत आभार भैया .

Comment by Neelam Upadhyaya on January 25, 2017 at 10:42am

आदरणीय राजेश कुमारी जी, बहुत ही शानदार कथानक. धन्यवाद स्वीकार करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service