For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1122 1122 22
अब दुवाओं के लिए हाथ उठाया जाए ।
तेरे सर से न् कभी इश्क़ का साया जाए ।।

हुस्न मगरूर हुआ है ये सही है यारों ।
आइनॉ को न् उसे और दिखाया जाए ।।

होश खोना भी जरूरी है मुहब्बत के लिए ।
सुर्ख होठों पे कोई जाम सजाया जाए ।।

पूछ मत दर्द से रिश्तों की कहानी मेरी ।
ज़ह्र देना है तो बेख़ौफ़ पिलाया जाए ।।

एक हसरत के लिए जिद भी कहाँ है वाजिब ।
गैर चेहरों को चलो दिल में बसाया जाए ।।

बिक गई आज निशानी भी जो तुमने दी थी।
आखिरी रात है क्या दांव लगाया जाए ।।

इस से पहले वो बदल जाए न् वादा करके ।
कोई चर्चा न् सरेआम चलाया जाए ।।

वह उतारा है नया चाँद ज़मी पर देखो ।
ख़ास इल्ज़ाम मुकद्दर से हटाया जाए ।।

इक ज़माने से अना की है नुमाइश काफ़ी ।
नाज़नीनों का नया नाज़ उठाया जाए ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी


मौलिक अप्रकाशित

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 7:30am

आदरनीय नवीन भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ... गुणि जनों की सार्थक सलाहों का लाभ उठायें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 7, 2017 at 11:03pm
आ 0 कवीर सर सादर नमन। ग़ज़ल ठीक करूँगा ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 7, 2017 at 11:02pm
आ0 रवि शुक्ला सर नमन । सुझाव बहुत अच्छा लगा । री राइटिंग करूँगा।
Comment by Samar kabeer on April 7, 2017 at 9:56pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

ग़ज़ल में सबसे अहम किरदार मतले का होता है,जब मतला ही कमज़ोर हो तो ग़ज़ल का पूरा लुत्फ़ हासिल नहीं होता,आपकी ग़ज़ल के मतले का ऊला मिसरा मन्तिक़(तार्किकता)के लिहाज़ से बिल्कुल ग़लत है,:-
'अब दुआओं के लिये हाथ उठाया जाए'
जब दुआ मांगी जाती है तो दोनों हाथ उठाकर मांगी जाती है,एक हाथ से नहीं,इस हिसाब से मिसरा यूँ कहना होगा :-
'अब दुआओं के लिये हाथ उठाये जाएँ'
इसलिये ऊला मिसरा बदलना होगा,मैं यहाँ कोई मिसरा सुझाव के तौर पर नहीं बता रहा हूँ,आप कहेंगे तो बता दूँगा ।
'आइनों'वाले मिसरे पर जनाब रवि जी का सुझाया मिसरा उम्दा है ।
और बाक़ी मिसरों पर भी उन्होंने सही मश्विरा दिया है,देखियेगा ।
Comment by Ravi Shukla on April 7, 2017 at 1:35pm

आदरणीय नवीन जी नमस्‍कार बड़ी अच्‍छी बहर चुनी है आपने बात कहने के लिये ये भी आहंग खेज बहर की गिनती में आती है ।  कुछ मिसरों में उनकी अं‍तर्कथा स्‍प्‍ष्‍ट नहीं हो पाई जैसे अाखिरी रात है क्‍या दाव लगाया जाए । शेर अपने अर्थ को स्‍पष्‍ट नहीं कर पाया दूसरें शेर का सानी मिसरा इस तरह कहें तो कैसा रहे एक त्‍वरित सुझाव मात्र है यदि सही लगे तो

आइना उसको न अब और दिखाया जाए  ।  इस गजल को अभी रख दीजिये और आदरणीय वीनस जी  की सलाह के अनुसार कम से कम 15 दिन बाद दुबारा पढे आपको खुद इसमें कुछ संशोधन और शब्‍द संयोजन समझ आने लगेंगे । फिर देखिये इस गजल का रूप । गजल का एक अच्‍छा प्रयास हुआ है उसके लिये दिली बधाई हाजिर है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service