For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मौत से वह बहुत लड़ा होगा ।।

2122 1212 22

उसके चेहरे पे कुछ लिखा होगा ।
पढ़ने वालों ने पढ़ लिया होगा ।।

यूँ नही हैं तमाम दीवाने ।
हुस्न शायद नया नया होगा ।।

तुझसे मिलना भी इक कयामत है ।।
क्या मुकद्दर का फैसला होगा ।।

सिलवटें दे रहीं गवाही सब ।
मौत से वह बहुत लड़ा होगा ।।

जुल्म से अब भला है डरना क्यों ।
मेरे खातिर मेरा खुदा होगा ।।

सुर्ख लब से शराब पीकर वों।
होश खोकर कहीं पड़ा होगा ।।

तुझसे मिलना भी इक कयामत है ।
क्या मुकद्दर का फैसला होगा ।।

उनसे कह दो न रास्ता रोकें ।
मेरा दिलवर बहुत खफा होगा ।।

आ भी जाओ मेरी जरूरत हो ।
तुझसे मिलकर मेरा भला होगा ।।

छोड़ कर चल दिया शराफत को ।
कोई धोखा कहीं हुआ होगा ।।

वस्ल तय था मगर ख़बर क्या थी ।
इस तरह से कभी जुदा होगा ।।

लोग कहते हैं खास अफसर है ।
ढूढ़िये धन कहीं दबा होगा ।।

घर जलाकर मेरा चले आये ।
ये रकीबों का मशबरा होगा ।।

पत्थरों पर है सियासत काफी ।
मुल्क करवट बदल रहा होगा ।।

हैं उमीदें तमाम जनता की।
उसके आने से कुछ भला होगा ।।

नवीन मणि त्रिपठी

मौलिक अप्रकाशित।

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 11:07am

जी , नीलेश भाई , मै तो आपसे सहमति जता ही चुका हूँ ... मेरा उद्देश्य केवल यह बताना था कि आप एक या दो शेर फेसबुक मे पोस्ट कर सकते हैं ... इसे अन्यत्र प्रकाशित नही माना जायेगा ...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2017 at 10:58am

आ. गिरिराज जी, 
यहाँ प्रकाशन का समय नहीं, post होने का समय दिखाई देता है...
नवीन भाई की रचना मंच पर FB के बाद post हुई है ...
पहले होती या उसी वक़्त   होती तो कोई बात न होती....
कहीं post करके यहाँ अप्रकाशित लिखना ......इस पर आपत्ति है ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 10:54am

आ. नवीन भाई , आ. नीलेश जी की बात सही है ... और आपकी ये बात भी सही है कि कभी कभी प्रकाशित होने मे हमारी उम्मीद से जियादा समय लग जाता है ... लेकिन ये भी पहले से तय है ... प्रकाशित होने मे 24 धंटे का समय लग सकता है ।

आप फेस बुक मे एक या दो शेर पोस्ट कर सकते हैं .... इसे प्रकाशित होना नही माना जायेगा ... आप का काम भी बन जायेगा और ओबीओ का नियम भी भंग नही होगा ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2017 at 10:10am

नवीन भाई .. मैं ग़ज़ल कब अप्रूव हुई उस समय की बात नहीं कर रहा हूँ... 
टाइम of पोस्टिंग FB पर भी   दिखता है और मंच पर भी......इसीलिए लिखा कि 
हालाँकि समय का अंतर सिर्फ 7 मिनिट है लेकिन यहाँ आप अप्रकाशित की घोषणा कर रहे हैं...
पहले यहाँ post हो तो बेहतर ..
ग़ज़ल मैंने नहीं हटाई... मैं प्रबंधन में नहीं हूँ ... लेकिन कुछ बातें जो ज़रूरी हैं, वो ज़रूरी हैं.
सादर 

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 22, 2017 at 2:28pm
महोदय ग़ज़ल हटाने के लिए धन्यवाद । परंतु इस रचना के लिए स्पष्ट करना चाहूंगा कि जब मैंने यह रचना पोस्ट की है उसके 12 घण्टे बाद मैंने अपनी टाइम लाइन पर यह ग़ज़ल पोस्ट की है । पूरा दिन गुजर जाता है और रचना अप्रूव ही नही की जाती तो प्रतीक्षा की भी एक सीमा होती है । कमेंट का उत्तर देने के उपरांत आप यह भी ग़ज़ल हटा दीजिये भाई ।मै आपकी व्यवस्था का दोषी नही बनना चाहता । कबीर साहब आरिफ साहब और रवि शुक्ला जी की वजह से ही जुड़ा हूँ ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 22, 2017 at 11:12am

हालाँकि समय का अंतर सिर्फ 7 मिनिट है लेकिन यहाँ आप अप्रकाशित की घोषणा कर रहे हैं...
पहले यहाँ post हो तो बेहतर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 22, 2017 at 11:07am
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 22, 2017 at 11:05am

आप की ग़ज़ल कल सुबह काव्यांजलि साहित्यिक और कविताविथि में post हो चुकी है ...
यहाँ सिर्फ अप्रकाशित     रचनाएँ मान्य हैं.....
आप की एक ग़ज़ल कल इसी के   चलते हटाई  गयी थी ...
इस पर गंभीरता से विचार  करें....
नियमभंग की इजाज़त किसी   को नहीं है  यहाँ .
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service