For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसके आँचल उड़ा नही करते

2122 1212 22

बेसबब वह वफ़ा नहीं करते । खत मुझे यूँ लिखा नहीं करते ।।

है मुहब्बत से वास्ता कोई । उस के आँचल उड़ा नहीँ करते ।।

लूट जाते हैं जो मेरे घर को। गैर वह भी हुआ नहीं करते ।।

बात कुछ तो जरूर है वर्ना । तुम हक़ीक़त कहा नही करते ।।

न्याय बिकता है इस ज़माने में । बिन लिए फैसला नही करते ।।

वह गवाही भी बिक गई कब की ।
अब भरोसा किया नही करते ।।

जश्न लिखता हयात को बन्दा ।
जिंदगी से डरा नहीँ करते ।।

है भरोसा जिन्हें यहां खुद पर ।
वह खुदा से दुआ नहीं करते ।।

थोड़ी तहज़ीब भी जरूरी है । महफिलों से उठा नहीं करते ।।

और चेहरा खराब होता है ।
दाग ऐसे धुला नहीं करते ।।

पूछिये रात माजरा क्या था । यूँ ही काजल बहा नहीं करते ।।

टूट जाये कहीं न् दिल कोई।
इस तरह ख़त लिखा नहीं करते ।।

कुछ तो अय्याशियां रहीं होंगी । नाम यूँ ही मिटा नहीं करते ।।

है खुमारी तमाम चेहरे पर । कौन कहता नशा नहीं करते ।।

जो हिफ़ाज़त में हुस्न रखते हैं । रहजनों से लुटा नहीं करते ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 19, 2017 at 8:54pm
आदरणीय नवीन मणि जी खूबसूरत गजल के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें!
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2017 at 6:30pm
सादर आभार सर
Comment by Ravi Shukla on April 18, 2017 at 3:59pm

अादरणीय नवीन मणि जी बड़ी और बड़ी बढि़या ग़ज़ल कही है आपने बधाई कुछ शेर बहुत अच्‍छे लगे कुछ में मशहूर शेर का रंग नजर आ रहा है इससे हमें बचना च‍ाहिये । जैसे कुछ तो मजबूरियॉं रही होंगी  ।  कुछ तो अय्याशियॉं रही होगी । इस बहर में काफियों के साथ बहुत गुजांइश है । सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2017 at 2:41pm
आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह कुश क्षत्रप साहब आभार ।
Comment by नाथ सोनांचली on April 16, 2017 at 11:06am
आद0 भाई नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन, उम्दा ग़ज़ल लगी मुझे, बधाई इस सृजन पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service