2122 1212 22
उसके चेहरे पे कुछ लिखा होगा ।
पढ़ने वालों ने पढ़ लिया होगा ।।
यूँ नही हैं तमाम दीवाने ।
हुस्न शायद नया नया होगा ।।
तुझसे मिलना भी इक कयामत है ।।
क्या मुकद्दर का फैसला होगा ।।
सिलवटें दे रहीं गवाही सब ।
मौत से वह बहुत लड़ा होगा ।।
जुल्म से अब भला है डरना क्यों ।
मेरे खातिर मेरा खुदा होगा ।।
सुर्ख लब से शराब पीकर वों।
होश खोकर कहीं पड़ा होगा ।।
तुझसे मिलना भी इक कयामत है ।
क्या मुकद्दर का फैसला होगा ।।
उनसे कह दो न रास्ता रोकें ।
मेरा दिलवर बहुत खफा होगा ।।
आ भी जाओ मेरी जरूरत हो ।
तुझसे मिलकर मेरा भला होगा ।।
छोड़ कर चल दिया शराफत को ।
कोई धोखा कहीं हुआ होगा ।।
वस्ल तय था मगर ख़बर क्या थी ।
इस तरह से कभी जुदा होगा ।।
लोग कहते हैं खास अफसर है ।
ढूढ़िये धन कहीं दबा होगा ।।
घर जलाकर मेरा चले आये ।
ये रकीबों का मशबरा होगा ।।
पत्थरों पर है सियासत काफी ।
मुल्क करवट बदल रहा होगा ।।
हैं उमीदें तमाम जनता की।
उसके आने से कुछ भला होगा ।।
नवीन मणि त्रिपठी
मौलिक अप्रकाशित।
Comment
जी , नीलेश भाई , मै तो आपसे सहमति जता ही चुका हूँ ... मेरा उद्देश्य केवल यह बताना था कि आप एक या दो शेर फेसबुक मे पोस्ट कर सकते हैं ... इसे अन्यत्र प्रकाशित नही माना जायेगा ...
आ. गिरिराज जी,
यहाँ प्रकाशन का समय नहीं, post होने का समय दिखाई देता है...
नवीन भाई की रचना मंच पर FB के बाद post हुई है ...
पहले होती या उसी वक़्त होती तो कोई बात न होती....
कहीं post करके यहाँ अप्रकाशित लिखना ......इस पर आपत्ति है ....
आ. नवीन भाई , आ. नीलेश जी की बात सही है ... और आपकी ये बात भी सही है कि कभी कभी प्रकाशित होने मे हमारी उम्मीद से जियादा समय लग जाता है ... लेकिन ये भी पहले से तय है ... प्रकाशित होने मे 24 धंटे का समय लग सकता है ।
आप फेस बुक मे एक या दो शेर पोस्ट कर सकते हैं .... इसे प्रकाशित होना नही माना जायेगा ... आप का काम भी बन जायेगा और ओबीओ का नियम भी भंग नही होगा ।
नवीन भाई .. मैं ग़ज़ल कब अप्रूव हुई उस समय की बात नहीं कर रहा हूँ...
टाइम of पोस्टिंग FB पर भी दिखता है और मंच पर भी......इसीलिए लिखा कि
हालाँकि समय का अंतर सिर्फ 7 मिनिट है लेकिन यहाँ आप अप्रकाशित की घोषणा कर रहे हैं...
पहले यहाँ post हो तो बेहतर ..
ग़ज़ल मैंने नहीं हटाई... मैं प्रबंधन में नहीं हूँ ... लेकिन कुछ बातें जो ज़रूरी हैं, वो ज़रूरी हैं.
सादर
हालाँकि समय का अंतर सिर्फ 7 मिनिट है लेकिन यहाँ आप अप्रकाशित की घोषणा कर रहे हैं...
पहले यहाँ post हो तो बेहतर
आप की ग़ज़ल कल सुबह काव्यांजलि साहित्यिक और कविताविथि में post हो चुकी है ...
यहाँ सिर्फ अप्रकाशित रचनाएँ मान्य हैं.....
आप की एक ग़ज़ल कल इसी के चलते हटाई गयी थी ...
इस पर गंभीरता से विचार करें....
नियमभंग की इजाज़त किसी को नहीं है यहाँ .
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online