1
 कैसी ख़ामोशी
हर तरफ़ देखो
रात खामोश
 
 2
 यह जो तुम
 हो गये हो ख़ामोश
 बदली छायी ।
 
 3
 बदल गए
 सोचा न ऐसा  कभी
 ख़ामोशी बोली ।
 
 4
 दूर हो गए
 कदम ख़ामोशी के
 चलते चले ।
 
 5
 जब टूटेगी
 ख़ामोशी बादलों की
 वर्षा ही होगी ।
 
 6
 सुनायी देती
 ख़ामोशी की ज़ुबान
 आँखों में देख ।
 
 7
 लम्बी ख़ामोशी
 काँटो सी है चुभति
 समझे कोई ।
 
 8
 रहने लगे
 ख़ामोश जब तुम
 टुटा है दिल ।
 
 9
 ज़ुबान होती
 ख़ामोशी की गर दे
 सुनायी तुम्हें ।
 
 10
 बादल हुआ
 ख़ामोश है जब से
 सूखी धरती ।
 
 
 मौलिक एवं अप्रकाशित
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LAAJWAAB
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