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" बहुत अच्छा करती हो जो अब गोष्ठियों में आने लगी हो , अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर । " एक वरिष्ठ साहित्यकार ने एक महिला से कहा ।
" जी नमस्ते सर , नहीं ऐसा कुछ नहीं है , समय अनुसार आ जाती हूँ , विविध रचनाकारों को सुनने का अवसर मिल जाता है । " उस महिला ने उत्तर दिया ।
" ओह तो श्रोता बनकर आती हो ? "
" जी , वैसे सुना है आज कल श्रोता नहीं मिलते ? जो भी आते है उन सभी को मंच की लालसा होती है । "
" बिलकुल सही कह रहीं हैं आप", अट्हास लेते हुए उन्होंने अपने साथी की तरफ देखते हुए कहा , एक एवार्ड होना चाहिए साहब मूक दर्शकों के लिए भी ।"
तभी उनके एक साथी ने आकर कहा ," अरे यार बहुत छाए हुए हुए हो आज कल हर मंच पर तुम ही तुम दिखाई देते हो , अख़बारों की सुर्ख़ियों में हो , फलां फलां बता रहा था की मंच पर सम्मान लेने हेतु कुछ सहायता राशि पहले से ही ले ली गयी थी ।"
अपने मित्र को वे मूक होकर सुनते रहे , माथे पर के पसीने ने उनकी वरिष्ठता को उजागर कर दिया था ।


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Kanchan aprajita on July 19, 2017 at 9:28am
उम्दा..०
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:14pm

धन्यवाद् आदरणीय तेज वीर सिंह जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:14pm

आदाब जनाब समर भाई जी , आपको लघुकथा पसंद आई सार्थक हुआ मेरा प्रयास | धन्यवाद भाई जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:13pm

धन्यवाद आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी |

Comment by TEJ VEER SINGH on June 28, 2017 at 11:18am

हार्दिक बधाई ।बेहतरीन प्रस्तुति।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 27, 2017 at 4:42pm
Dhanyawad aadrniya Nita di
Comment by Samar kabeer on June 27, 2017 at 3:39pm
बहना कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत उम्दा और तंज़ करती हुई लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 26, 2017 at 3:42pm
अच्छा कटाक्ष करती शानदार रचना के लियर ढेर सारी बधाई स्वीकार करें आदरनीया
Comment by Nita Kasar on June 26, 2017 at 3:37pm
अब मूकदर्शक स्पष्ट हो गया कौन रहा ।कटु व्यंग्य के लिये बधाई ।आद० कल्पना जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 25, 2017 at 10:14pm
Ddhanywad aadarniya Mohammed Arif ji .Eid ki shubhkamnayen aapko

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