For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भयभीत परम्परा
-----------
"वो कांप रहे हैं।"
एक उड़ती खबर उनके कानों में पहुँची है ।यहाँ अब एक बड़ा मॉल बनेगा ।
बड़े बड़े शॉपिग काम्प्लेक्स ,होटल ,सिनेप्लेक्स ,ब्रांडेड शोरूम,स्विमिंग पूल ,पार्किंग !
विकास की बहती बयार के झोंकें कस्बे में चल रहे हैं ।
वो सुन्न हो चुके हैं ।कभी वो बहुत चहकते थे।
जब किसान हल चलाता था ।गुड़-चना ले भोरे भोरे आता था ।
फसल काटने वाली स्त्रियां हँसी -ठिठोली करते गीत गाती थीं !
बच्चे बीच की पगडंडियों पर दौड़ते ,खेलते थे ।
तब वो खिलखिलाते थे।
अब मौन हैं।किससे बतियाए ?
कर्ज़ को समर्पित हो चुकी है किसान की आत्महत्या ।
आत्महत्या से जो बच गए कहीं रिक्शा खींच रहे हैं ।
स्त्रियां अब शहरों के घरों में काम वाली कहलाती हैं ।
बच्चे अब किसी स्लम की झुग्गियों में दुबके पड़े हैं ।
उन्होनें सुना सत्ता और पूंजीवाद साथ साथ खड़े हैं !
कुछ वृद्ध बचे हैं --थके ,हताश ,उनकी तरह अपने अंत से थरथराये!
गाँव के खेत डरे हुए है ।थर थर कांप रहें हैं ।उनका आर्तनाद कौन सुनेगा ! अन्तिम बार उन्होंने ने खुद को निहारा !
कल उनकी हरियाली कंक्रीट होने वाली है

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ संगीता गांधी on January 11, 2018 at 7:34pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सतविंद्र राणा जी ।
ये सभी सामयिक प्रश्न हैं ।जो बदलती व्यवस्था के चरित्र को से जुड़े हैं ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 11, 2018 at 7:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीया संगीता गांधी जी,इस बेहतरीन रचना के लिए। कई यक्ष प्रश्न उठा रही है यह।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 31, 2017 at 6:20pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ संगिता गांधी जी।बेहतरीन प्रस्तुति। एक कड़वी सच्चाई से रूबरू कराती रचना।

Comment by डॉ संगीता गांधी on December 29, 2017 at 11:35pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 29, 2017 at 10:41pm

बहुत बढ़िया उम्दा सार्थक प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद आदरणीया संगीता गांधी जी।

Comment by डॉ संगीता गांधी on December 29, 2017 at 10:01am
धन्यवाद ।आपने सही कहा आर्थिक आतंकवाद का स्वरूप दिन ब दिन देश को डस रहा है । एक आम व्यक्ति अपनी विरासत से वंचित होकर दयनीय जीवन की ओर धकेला जा रहा है ।कथा में डरे हुए खेत यही संकेत देते हैं।
Comment by Mohammed Arif on December 29, 2017 at 8:08am

आदरणीया संगीता जी आदाब,

                            तेज़ी से बढ़ता पूँजीवाद का आतंक हमरे खेत-खलिहान, परिवार और विरासत को लूट रहा है । देश में पूँजीपति आर्थिक आतंक मचा रहे हैं । सत्ताधारी सरकारें इनकी ग़ुलाम और रखैल बन गईं हैं । देश किसान आत्महत्या का उत्सव मना रहा है । हमारी धरोहर की किसी भी फिक्र नहीं है । देश में उपज का दायरा लगातार कम होता जा रहा है । बड़ी चिंता वाली बात है । खेत का मानवीकरण करके सबकुछ मार्मिक तरीके से कह दिया आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service