For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपावली का दिन लगभग 3:00 बजे शाम के पूजन की तैयारियां चल रही थी । माँ किचन में खीर बना रही थी,तो हमारी धर्मपत्नी जी आंगन में रंगोली डाल रही थी । मैं हॉल में बैठा हुआ व्हाट्सएप पर लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं भेज रहा था और मेरे पिताजी,मेरे पुत्र(भैय्यू),जिसने पिछले महीने अपना तीसरा जन्म दिन मनाया था,के साथ मस्ती करने में व्यस्त थे। इस मौसम में आमतौर पर मच्छर बहुत होते हैं,इसलिए पिताजी यह भी ख़याल रख रहे थे कि भैय्यू को मच्छर न कांटें और इसके लिए उन्हें काफ़ी मसक्कत भी करनी पड़ रही थी । तभी मेरा भाई पटाखों से भरी थैली लेकर घर में आया और उसने आवाज़ लगाई भैय्यू देखो क्या लाया हूँ ? चाचा की आवाज़ सुनकर भैय्यू दौड़ा और बहुत से पटाखे,फुलझड़ी,अनारदाना तरह-तरह की आतिशबाजी देखकर बेहद खुश हुआ ।
तभी मैंने बोला "लो हो गई शाम के महा-प्रदूषण की तैयारी ।" इतना सुना कि पिताजी मुझ पर चिल्लाये"तुम लोगों के ईको-फ्रेंडली के चक्कर में हम लोग अपने सारे त्योहार मनाना ही छोड़ दें क्या ?"
"जब भगवान राम अपना वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आये तो इस खुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया और इसी खुशी में हम लोग भी दीप जलाकर दीपावली मनाते हैं । क्या आपने कहीं ऐसा सुना कि जब भगवान राम अपना वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आये तो इस खुशी में पूरी अयोध्या में पटाखे चलाये गए" मैंने मुस्कुराते हुए तर्क देने का प्रयास किया ।
इतने में ही भैय्यू जितने हो सकते थे उतने पटाखे अपने छोटे-छोटे हाथों में भर के मेरे पिताजी,जो गुस्सा करने के साथ-साथ मच्छर भगाने में भी व्यस्त थे,के पास आया और बोला "अरे दादू ! आप परेशान मत हो,शाम को हम पटाखे चलाएंगे न,तो सारे मच्छर भाग जायेंगें ।"
ये सुनकर मैनें और पिताजी ने एक दूसरे की ओर देखा । मैनें आंखों ही आंखों में यह जताया कि देखो पटाखों के कितने नुकसान हैं और उनके भाव मुझसे कह रहे थे कि देखो पटाखों का ये भी फायदा है ।
भैय्यू की बात सच भी हुई,अभी रात के 10 बजे हैं,माहौल में थोड़ी घुटन जरूर है,लेकिन मच्छर एक भी नज़र नहीं आ रहा ।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 31, 2019 at 9:47am

http://www.openbooksonline.com/m/discussion?id=5170231%3ATopic%3A63...

आप लघुकथा की पाठशाला ज्वाइन कर सकते हैं जो ओबीओ में ही है वहां से भी आप सीख सकते हैं।

सादर।

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 31, 2019 at 9:32am

बहुत बहुत धन्यवाद कल्पना भट्ट'रौनक" जी ।

अभी सीखना प्रारम्भ किया है और मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है ।

लघुकथा के विषय में कैसे सीखा जाए,इसके विषय में मार्गदर्शन दें ।

आपका आभारी रहूंगा ।

सधन्यवाद ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 30, 2019 at 5:40pm

अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी पर अभी लघुकथा नहीं बन पायी है | सादर| 

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 28, 2019 at 8:04pm

बहुत बहुत धन्यवाद समर सर । आपके comments से बहुत बल मिलता है ।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 4:12pm

जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service