For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - ज़ुल्म सहना छोड़ कर इन्कार करना सीख ले

ज़ुल्म सहना छोड़ कर इन्कार करना सीख ले
है अगर ज़िन्दा पलटकर वार करना सीख ले.   
.
एक नुस्ख़ा जो घटा देता है हर दुःख की मियाद
सच है जैसा वैसा ही स्वीकार करना सीख ले.
.
मज़हबों के खेल में होगी ये दुनिया और ख़राब 
अपने रब का दिल ही में दीदार करना सीख से.
.
तन है इक शापित अहिल्या चेतना के मार्ग पर
राम सी ठोकर लगा.. उद्धार करना सीख ले.
.
नफ़रतों की बलि न चढ़ जाए तेरी मासूमियत
मान इन्सानों को इन्सां प्यार करना सीख ले.
.
लग न जाए दाग़ इस दुनिया का तेरी रूह पर
बिन छुए इसको ये दरिया पार करना सीख ले. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 9, 2021 at 5:54pm

जानकारी के लिए आभार आ. चेतन प्रकाश जी,
मैं स्थापित चलन के अनुरूप उसे दुःख  (२) ही गिनूँगा 
सादर 

Comment by Chetan Prakash on November 9, 2021 at 5:37pm

आदाब,  भाई नीलेश शेवगांवकर साहब! महर्षि  पाणिनि की व्याकरण के अनुसार विसर्ग (  : ) लगने पर अक्षर की मात्रा बढ़  जाती है ! तद्नुसार दुख  विसर्ग सहित  ( दु:ख ) होने  पर मात्रा भार तीन  (3) हो जाएगा, जो आपके दूसरे शे'र ऊला मिसरा को बह्र से ख़ारिज करता  है ! सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 9, 2021 at 9:53am

आ. चेतन प्रकाश जी 
मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि छन्द में विसर्ग की मात्रा कैसे गिनी जाती है.. मैं तो साधारण बोलचाल वाली ज़बान में लिख देता हूँ.. विसर्ग की मात्रा गणना पर और जानकारी दे कर अनुगुहित करें 
सादर 

Comment by Chetan Prakash on November 9, 2021 at 9:43am

आदाब, भाई  नीलेश शेवगांवकर साहब,  आपने वस्तुत: मेरी बात  की पुष्टि की  ! आपने अपनी ग़ज़ल के दूसरे शे'र  के ऊला में 'दु:ख'  लिखा  है , 'नासिर काज़मी  की तरह 'दुख' नहीं ! मेरी शंका का आधार  महर्षि  पाणिनि हैं जो  विसर्ग ( :  ) को मात्राओं में गिनते  हैं ! सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 8, 2021 at 2:32pm

आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,

आपके त्रुटी बताने पर एक मिसरा तरमीम किया है.
सादर धन्यवाद 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 8, 2021 at 9:59am

आ. चेतन प्रकाश जी 
आप को ग़ज़ल पसंद आई यह जानकार प्रसन्नता हुई ..
.
'दु:ख हमेशा ग़ज़ल में 2 मात्रा पर बाँधा जाता है और उसे दुख की तरह लिखा जाता है.. मैं शब्दों को लिखने के प्रति विशेष आग्रही हूँ अत: दुख को दुःख लिखा है जैसा कि उसे लिखा जाना चाहिए ..
.

अपनी धुन में रहता हूँ

मैं भी तेरे जैसा हूँ.
,

तेरी गली में सारा दिन

दुख के कंकर चुनता हूँ.. नासिर काज़मी 
.
सादर  

Comment by Chetan Prakash on November 8, 2021 at 9:44am

आदाब, आदरणीय भाई नीलेश जी, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ! एक से एक बढकर शे'र हुए हैं! " तन है एक शापित अहिल्या चेतना के मार्ग पर  / राम सी ठोकर लगा उद्धार करना सीख ले " वाहहहहह क्या बात है! 

कृपया मेरा एक शंका समाधान भी करें, जो दूसरे शेर में 'दु:ख' की मात्रा लेकर है! सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 8, 2021 at 9:10am

आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,

यदि मैं खिन्न होता तो आप को पढने का सही तरीका बताता क्या?
रही बात उस्तादी की, तो विधा का कोई उस्ताद नहीं होता.. हर कोई छात्र होता है.. कोई KG  का तो कोई कॉलेज का 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 8, 2021 at 9:07am

धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on November 8, 2021 at 8:55am

//आप शायद और को अबतक उर पढ़ना नहीं सीखें हैं और यकीनन बलि को बली पढ़ रहे हैं..

आशा करता हूँ कि आप अधिक से अधिक ग़ज़लें पढ़ेंगे और किस तरह पढ़ा जाता है वह आर्ट सीखेंगे.//

धन्यवाद.. आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी.

मैं ओ बी ओ पर आप जैसे उस्तादों से सीखने ही तो आया हूँ, जहाँ समझ नहीं आयेगा पूछता रहूँगा, खिन्न मत होइयेगा। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service