For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - क्या ही तुझ में ऐब निकालूँ क्या ही तुझ पर वार करूँ

क्या ही तुझ में ऐब निकालूँ क्या ही तुझ पर वार करूँ
ये तो न होगा फेर में तेरे अपनी ज़ुबाँ को ख़ार करूँ.
.
हर्फ़ों से क्या नेज़े बनाऊँ क्या ही कलम तलवार करूँ
बेहतर है मैं ख़ुद को अपनी ग़ज़लों से सरशार करूँ.
.
ग़ालिब ही के जैसे सब को इश्क़ निकम्मा करता है
लेकिन मैं भी बाज़ न आऊँ जब भी करूँ दो चार करूँ.
.
चन्दन हूँ तो अक्सर मुझ से काले नाग लिपटते हैं
मैं भी शिव सा भोला भाला सब को गले का हार करूँ.
.
सब से उलझना तेरी फ़ितरत और मैं इक आज़ाद मनक
तू जब मुझ पर खीज उतारे मैं ग़ज़लें तैयार करूँ.
.
अपने दिल-बर्बाद से अक्सर ऐसी चुहल करता हूँ मैं  
महँगे महँगे शेर हैं मेरे क्यूँ तुझ पर बेकार करूँ.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित/ त्वरित/ तडित 

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 4, 2021 at 5:26pm

धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब 
आपको यह प्रयोग आदर्श और सटीक लगा क्यूँ कि आपने आदर्श ऐसे चुन रखे हैं वगर्न: बहर के साथ मेरे प्रयोग हमेशा सटीक ही होते हैं.
आप को यह ग़ज़ल तंज़िया लगी तो शायद कोई कमी रह गयी होगी ..यह तो मैं अक्सर ख़ुद के दिल के लिए कहता हूँ ..
अंतिम शेर इस बात का गवाह भी है 
आप ग़ज़ल तक आए, आपका बहुत बहुत आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 4, 2021 at 5:22pm

धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 4, 2021 at 11:59am

आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, शानदार तन्ज़िया ग़ज़ल कहने के लिये और मात्रिक बह्र का सटीक एवं आदर्श प्रयोग करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें, सादर। 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 28, 2021 at 6:57pm

धन्यवाद आ. सौरभ सर.

बह्र संबंधी इशारा स्पष्ट करेंगे तो आसानी होगी।

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 28, 2021 at 2:43pm

चन्दन हूँ तो अक्सर मुझ से काले नाग लिपटते हैं ... वाह क्या मिसरा बना है ! .. वाह ! 

एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. 

मात्रिक बहर का प्रयोग अलबत्ता तनिक और सावधानी की मांग कर रहा है. 

शुभातिशुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 28, 2021 at 12:13pm

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2021 at 5:35pm

धन्यवाद आ. बृजेश ब्रज जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2021 at 6:40pm

चन्दन हूँ तो अक्सर मुझ से काले नाग लिपटते है
मैं भी शिव सा भोला भाला सब को गले का हार करूँ.

वाह आदरणीय क्या ही खूब कहा...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 14, 2021 at 1:21pm

धन्यवाद आ सालिक साहब..
शोर जब बढ़ जाए तो उससे बड़ा शोर कर के नहीं बल्कि सुर में बात रखनी चाहिए ताकी शोर मचाने वालों को सुर की मिठास पता चल सके..
आप ग़ज़ल तक आए इसके लिए आभार 

Comment by सालिक गणवीर on November 14, 2021 at 12:37pm

आदरणीय भाई  Nilesh Shevgaonkar जी
सादर नमस्कार
एक और शानदार ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service