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हुस्न-ए-ग़ज़ल

2 1 2 2  /  1 2 1 2  /  2 2

है ग़ज़लगोई यार की बातें

शे'र सुनना ख़ुमार की बातें

शे'र पढ़ना हसीं तरन्नुम में

जैसे हों लालाज़ार की बातें

इन जुदाई मिलन के क़िस्सों में

हैं ख़िज़ाँ और बहार की बातें

ज़िक्र नाज़-ओ-अदा का शे'रों में

मौसम-ए-ख़ुश-गवार की बातें

हैं छुपी मैकशी में साक़ी में

पाक परवरदिगार की बातें

हुस्न-ए-जानाँ झलकता लफ़्ज़ों में

जैसे अब्र-ए-बहार की बातें

शम्अ' परवाना फूल और भँवरा

हैं इशारों में प्यार की बातें

शाइ'री आईना-ए-हस्ती है

इस में हैं आर पार की बातें

शे'र कहने के फ़न में उस्तादी

हैं कठिन रहगुज़ार की बातें

इब्तिदा की जनाब-ए-’ख़ुसरो’ ने

कह के मिस्कीन-ए-ख़्वार की बातें

पहला दीवान था 'क़ुतुब शह' का

पी के मिन्नत-गुज़ार की बातें

फिर ‘वली दक्कनी’ के जलवे थे

आशिक़-ए-जाँ-निसार की बातें

‘मीर’ की सादगी में पुरकारी

फूल में पिन्हाँ ख़ार की बातें

‘ज़ौक़’ की पुख़्ता शे’र-साज़ी में

हैं किसी बद-क़िमार की बातें

और ‘ज़फर’ ने कही असीरी में

किसी उजड़े दयार की बातें

आपका रेख़्ता ‘असदुल्लाह’

हैं वली बादा-ख़्वार की बातें

‘मोमिन’-ए-मुब्तिला के शे'रों में

कोई खोये क़रार की बातें

‘दाग़’ की दिल-फ़रेब ग़ज़लें हैं

प्यार में जीत हार की बातें

जो ‘जिगर’ कह गया तरन्नुम में

इश्क़ के पासदार की बातें

ग़म में डूबी हैं ग़ज़लें ‘फ़ानी’ की

मौत के इंतिज़ार की बातें

तल्ख़-लहजा कलाम ‘साहिर’ का

जैसे दिल के ग़ुबार की बातें

‘फ़ैज़’ के इन्क़लाबी शे'रों में

हैं शहादत की दार की बातें

और 'समर' तेरे आ'ला शे'रों में

हैं किसी हक़-शिआर की बातें

मेरी ग़ज़लें बयाँ करें 'शाहिद'

इक हक़ीक़त निगार की बातें

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 19, 2022 at 4:41pm

आदरणीय दंडपाणि नाहक साहिब, आपकी बेपनाह मुहब्बत और सुख़न-नवाज़ी के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ!

कृपया ध्यान दे...

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