For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

( दो जन्म )

हाँ , आज  हुआ है मेरा 

जन्म , 
एक शानदार हस्पताल में ....
कमरे में टीवी है ...
बाथरूम है ...फ़ोन है ....
तीन वक्त का खाना 
आता है .....
जब मेरा जन्म हुआ 
तो मेरे पास ...
डाक्टरों और नर्सों 
का झुरमट ....
मेरी माँ मुझे देखकर 
अपनी पीड़ा को 
कम करने की कोशिश 
कर रही है .....
हर तरफ ख़ुशी बिखर 
गयी है मेरे आने से ....
दुनिया की हर अख़बार में ,
टीवी पे , फेसबुक पे ,
ट्विटर पे ......हर जगह 
पे घोषणा हो रही है 
हमारे आने की .....
मेरे पिता जी व्यस्त है 
लोगों के मिलने में ...
फोन सुनने में ...
उनकी ख़ुशी का 
कोई ठिकाना नहीं ...
चारों तरफ बस ख़ुशी ही ख़ुशी 
हाँ मेरा भी जन्म हुआ 
है आज ....
एक सडक के किनारे 
गरीब की झोंपड़ी में .....
उस झोंपड़ी में ....
बस एक दिया है ...
जो न मात्र रौशनी दे रहा है  .....
मेरी माँ पीड़ा से अभी भी 
कराह रही थी .....
कोई डाक्टर या नर्स नहीं 
आई थी ...
पास वाली झोंपड़ी से 
ही एक औरत ने 
आकर मेरे पैदा 
होने में सहायता की  .....
मेरे पिता जी उस वक्त 
भी मजदूरी कर के घर 
आए  ......
कैसा है  मेरा आना 
कोई भी खुश नहीं हो रहा 
सिवाए मेरी माँ के .....
मेरे पिता जी अब
यह सोच रहे है  कि
पहले दो लोगों का 
ही मुश्किल से चलता है ...
अब तीन तीन लोगों का ....
कैसे चलेगा ......
हाँ अगर किसी को 
दरअसल ख़ुशी 
हुई होगी तो मेरे 
पिता जी के मालिक 
को ....
जिसको लगा कि 
उसका एक और 
मजदूर बढ़ गया है ....
इन दोनों ही जन्मों 
में जमीन आसमान 
का फर्क है .....
हाँ अगर कुछ समान्य 
है तो दोनों माताओं का 
इस  क्रिया से गुजरना 
पर फिर भी हम कैसे 
कह देते हैं ,
सभी मानुष एक से है 
 जभ भी सोचता हूँ ..
विचलित हो जाता हूँ ...
पर इसका जवाब मेरे 
पास तो नहीं है .....लाली 

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 9, 2012 at 9:44am

welcom sir

Comment by राज लाली बटाला on February 8, 2012 at 8:16pm

DEEPAK SHARMA KULUVI ji, आभारी हूँ आप  का  मित्र  !! 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 8, 2012 at 12:13pm
सत्यता सुन्दर रचना
दीपक 'कुल्लुवी'
Comment by राज लाली बटाला on February 7, 2012 at 10:38pm

विचलन को ही तो जीवन कहते हैं. इसी विचलन को प्रकृति साधती है.  ,आपकी राय से सहमत हूँ !!   Saurabh Pandey ji !! Thanks !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2012 at 10:14pm

विचलन को ही तो जीवन कहते हैं. इसी विचलन को प्रकृति साधती है. व्यक्त दो ज़मीन के जन्म पुरुषार्थ का कारण भी है और प्राप्य भी. आपकी संवेदना को शुभकामनाएँ.

Comment by राज लाली बटाला on February 7, 2012 at 10:00pm

Thanks a lot to !! Aashutosh Srivastava ji, कवि - राज बुन्दॆली  ji, Ganesh Jee "Bagi" ji, AVINASH S BAGDE  ji, आभारी हूँ आप सभी का!!

Comment by राज लाली बटाला on February 7, 2012 at 9:59pm

आभारी हूँ आप सभी का जो आपने इस कविता को सराहा ,,,मैं बताना चाहूँगा कि एक दिन मैं रात में सोया हुआ था लेकिन जहिन में कुछ चल रहा था ,,,,तभी इस कविता का 

जन्म हुआ और जभ मैंने इसे लिखा तो हूँ-ब-हू उसी तरह ही लिखी जैसे मैंने सपने में सोचा था ....यह मेरे साथ पहली बार हुआ सो आपके साथ शेयर क्र रहा हूँ !! 
धन्यवाद् .....लाली 
Comment by AVINASH S BAGDE on February 7, 2012 at 8:43pm

सभी मानुष एक से है 

 जभ भी सोचता हूँ ..
विचलित हो जाता हूँ ..sachmuch.Lali ji.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 7, 2012 at 8:07pm

राज लाली जी, यह दुनियां असमानताओं से भरी है, समानता केवल दो ही है जन्म और मृत्यु जिससे सभी को गुजरना होता है, बाकी तो असमानता ही असमानता है,

बहुत ही खास अभिव्यक्ति , बहुत बहुत बधाई इस रचना हेतु |

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2012 at 6:10pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .दीपावली

दोहा पंचक. . . . . . दीपावलीदीप जले हर द्वार पर, जग में हो उजियार  ।आपस के सद्भाव से, रोशन हो संसार…See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
3 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service