For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)

कई दिनों से 

सफ़ेद चादर के फंदे ने 

गला घोंट रखा था 

आज धूप से गले  मिलकर 

खुल के रोये चिनार

(2)

हाथी दांत की चूड़ियाँ

बाजार में देखी तो ख़याल आया 

कि कहीं कल इंसान 

की अस्थियों के लाकेट

तो नहीं आ जायेंगे बाजार में

(3) 

तेरी इस ग़ज़ल के कुछ शब्दों से 

लहू रिस रहा है 

लगता है कहीं से बहुत बड़ी 

चोट खाकर आये हैं 

तभी तो दर्द से बरखे 

यूँ फडफडा रहे हैं 

(4)

आज मेरी छाँव में बैठ लो दोस्तों 

कल तो टुकड़े- टुकड़े  होकर 

किसी शहर चला जाऊँगा 

ढूँढना हो तो ढूँढ लेना

किसी के स्वागत कक्ष में 

तुमको गोदी में बड़े प्यार से बिठाऊंगा 

*****

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 6:07pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार वंदना जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 5:15pm

प्रदीप कुमार कुशवाह  जी आपकी टिपण्णी सर आँखों पर मेरी कलम को बल मिला 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 5:13pm

महिमा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 5:12pm

सुरेन्द्र कुमार शुक्ला जी हर्दय से आभारी हूँ मेरे ख्यालों के मर्म ने आपके दिल को छुआ 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 14, 2012 at 4:33pm

हाथी दांत की चूड़ियाँ

बाजार में देखी तो ख़याल आया 

कि कहीं कल इंसान 

की अस्थियों के लाकेट

तो नहीं आ जायेंगे बाजार में

आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर 
आल दा वे फार ४ रन , बधाई. 
Comment by MAHIMA SHREE on May 14, 2012 at 4:15pm
आज मेरी छाँव में बैठ लो दोस्तों

कल तो टुकड़े- टुकड़े होकर

किसी शहर चला जाऊँगा

ढूँढना हो तो ढूँढ लेना

किसी के स्वागत कक्ष में

तुमको गोदी में बड़े प्यार से बिठाऊंगा ..आदरणीया राजेश दी .. बहुत ही अच्छी लगी आपकी क्षणिकाए.. हार्दिक बधाई आपको
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 14, 2012 at 3:24pm

कि कहीं कल इंसान 

की अस्थियों के लाकेट

तो नहीं आ जायेंगे बाजार में



आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत सुन्दर क्षणिकाएं ..सटीक दृश्य दिखाती हुयी..कहीं वर्फीले चिनार के तो कहीं ..हाथी और वृक्षों के दर्द के रूप में .  श्रीनगर के वे रास्ते याद आ गए  हमें भी ....बधाई ..भ्रमर ५ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 12:55pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार प्राची जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 14, 2012 at 12:08pm

बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं आदरणीया राजेश कुमारी जी.. हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 14, 2012 at 11:14am

हार्दिक आभार भावेश राजपाल जी  सराहना के लिए    

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service