For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो न माँ ..........क्यों बेटियाँ बोझ होती हैं !

क़त्ल करना है तो सबका करो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा
अगर मिटाना है मेरी हस्ती को
तो सबको मिटाओ ..............
मुझ अकेली को मिटाने से क्या होगा ..............

 
हूँ गुनहगार अगर मैं दादी 
तो दोषी तो आप भी है 
सजा देनी है तो खुद को भी दो 
मुझ अकेली को देने से क्या होगा .....................
 
किया होता अगर ऐसा ही 
दादी के पापा ने दादी के साथ 
तो क्या आज आप होते पापा 
जरा सोच कर तो देखिये .....................
मेरे इस नन्हे से जिस्म के टुकडो को 
जो रंगे हुए है खून से .................
एक छोटी सी सुई चुभ जाती है जब उँगली में 
तो कितना दर्द होता है ........
जानते है न पापा आप ..........................
फिर कैसे ................फिर कैसे पापा 
कैसे आपने कर दिया अपने ही अंश को 
उन सब के हवाले काटने के लिए ...............
एक नन्ही सी जान को मरने के लिए 
अगर बोझ ही उतरना है ................
तो दादी को, माँ को, बुआ को भी मारो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा 
क़त्ल करना है......................................
 
कितनी आसानी से मान गई आप भी माँ 
क्यों ---- क्या मैं कोई भी नही थी आपकी
या मज़बूरी थी आपकी भी ..........
भगवान की तरह..................
भगवान जिन्हें मालूम है अपने इंसानों की फितरत 
जो जानते है ----- इन लालची इंसानों की हैवानियत को 
लेकिन फिर भी भेज देते है हमे इस दुनिया में 
जिन्दा क़त्ल होने के लिए ..............
बिन जन्मे ही मार दिए जाने के लिए 
 
या आप भी डर गयी थी दादी और पापा की तरह
कि कही मैं आप पर बोझ न बन जाऊँ
अपने बेटे का पेट तो भर सकते है आप
लेकिन क्या मुझे दो वक़्त की रोटी नही दे पाते
क्या मैं इतना खा लेती माँ .........................

कि आप लोगो के लिए मुझे पालना मुश्किल हो जाता
क्या मैं सच में बोझ बन जाती माँ
आपके लिए भी ..................
क्या इसीलिए आप सबने मुझे जन्म लेने से पहले ही मार दिया
क्या सच में ही बेटियाँ बोझ होती है माँ
बोलो न माँ ..........क्यों बेटियाँ बोझ होती है !
 

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 3, 2012 at 3:50pm

सोनम जी आपकी कविताओं में भावनाएं बहुत होती हैं , दिल को छु जाने वाले शब्द होते हैं आपके ! वाह , उम्मीद करता हूँ आप हमेशा यही सोच बनाये रखेंगी !

Comment by Bhawesh Rajpal on June 7, 2012 at 4:19pm
रोंगटे खड़े कर देने वाली रचना  ! अजन्मी बेटी की करुण पुकार  !  ह्रदय पिघलाती भाषा !  भ्रूण हत्या करने वालों  -  ज़रा इसे पढो  और तुम्हारी आत्मा जब तुम्हारे मुंह पर जूते मारेगी ,तब तुम्हें समझ में आएगा कि  फूल सी नाज़ुक , सुन्दर , अबोध और प्रसन्नता वर्धक बेटियां  ही सच्ची ख़ुशी देती हैं !
इसे पढ़ कर दिल रो उठा , कैसे कोई इतना निर्दयी हो सकता है , अपने ही दिल के टुकड़े को मार डाले ?
सोनम सैनी जी , आशा है इसी प्रकार से आप आगे भी भावनाओं को झकझोरती रहेंगी , संवेदनाओं  को जगाती रहेंगी !
हार्दिक बधाई ! - भवेश राजपाल  ! 
Comment by Ajay Singh on June 7, 2012 at 12:21pm

Really nice one, Heart touching expression........

Comment by Sonam Saini on June 7, 2012 at 10:12am

Thank u all of u.

Comment by Sonam Saini on June 7, 2012 at 10:11am

Thank u rajesh mam.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 7, 2012 at 8:35am

हमारे समाज के इस क्रूरतम घिनौने चेहरे को आइना दिखाती हुई रचना बहुत मार्मिक बधाई आपको 

Comment by Natwar singh tomar on June 7, 2012 at 1:36am

very nice one

Comment by आशीष यादव on June 7, 2012 at 12:33am
एक अजन्मी बेटी के ये सारे प्रश्न हमारे समाज के गाल पर तमाचा ही तो हैँ।
अच्छी प्रश्नात्मक कविता रची आपने।
बधाई स्वीकारेँ
Comment by Rekha Joshi on June 6, 2012 at 11:03pm

Sonam ji 

या आप भी डर गयी थी दादी और पापा की तरह
कि कही मैं आप पर बोझ न बन जाऊँ
अपने बेटे का पेट तो भर सकते है आप
लेकिन क्या मुझे दो वक़्त की रोटी नही दे पाते
क्या मैं इतना खा लेती माँ ,dil ko chhuti hui rachna ,badhai 

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 9:20pm

वाह वाह  सोनम सैनी जी,
कन्या हत्या  के विरुद्ध  इतने  प्रभावी  रूप से  संदेशात्मक  काव्य रचने और यहाँ प्रस्तुत करने पर आपका  हार्दिक अभिनन्दन !
आपकी लेखनी में आग है.........ये बरक़रार रहे........शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका आभार।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आशा है अवश्य ही शीर्षक पर विचार करेंगे आदरणीय उस्मानी जी।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"गुत्थी आदरणीय मनन जी ही खोल पाएंगे।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी, अवश्य प्रयास करूंगा।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service