पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
रसिक भ्रमर को भाय,मनोहर वदन सजीले
कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले
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Comment
आदरणीय सलिल जी का एक उदाहरण =ज्ञ = आधा ग + य
विज्ञ = (वि + आधा ग) + य = २ + १ = ३
ज्ञान की मात्रा ३ होगी, पर विज्ञान की मात्रा ५ होगी को देखते हुए और उच्चारण को देखते हुए मैंने मात्रा मनोग्य में 5 गिनी है
जी जी आदरणीया राजेश जी बिलकुल.... हर संशय का निराकरण होना बहुत ज़रूरी है. सादर.
प्रिय प्राची जी आपको बसंत पर ये कुण्डलियाँ अच्छी लगी हार्दिक आभार आपका इशारा मनोग्य कि मात्रा पर है शायद मैं भी लिखते हुए अटक रही थी अभी भी संशय है और विद्वत् जनों की राय और जान लूँ फिर ठीक कर लूँगी
आदरणीया राजेश कुमारी जी,
कल रात को ही ऋतुराज बसंत पर अपने बेटे को हिन्दी में निबंध लिखवा रही थी, तो सोचा था कि इसी शीर्षक से आज बसंत की सुरम्यता पर एक कुण्डलिया लिखूँगी...
आपकी कुण्डलिया पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया... बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने बसंत का , बहुत बहुत बधाई.
,मनोग्य वदन सजीले...........इस पंक्ति को एक बार पुनः देख लीजिये आदरणीया. सादर.
अरुण कुमार अभिनव जी आपको ये कुण्डलिया रुचिकर लगी इस हेतु हार्दिक आभार|
कम शब्दों में सारगर्भित इस रचना के लिए आदरणीया राजेश जी हार्दिक बधाई वसंत वर्णन सुन्दर और समीचीन है !!
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