122, 122 22 (ग़ज़ल)
जमाया हथौड़ा रब्बा
कहीं का न छोड़ा रब्बा
बना काँच का था नाज़ुक
मुकद्दर का घोड़ा रब्बा
हवा में उड़ाया उसने
जतन से था जोड़ा रब्बा
तबाही का आलम उसने
मेरी और मोड़ा रब्बा
बेरह्मी से दिल को यूँ
कई बार तोड़ा रब्बा
रगों से लहू को मेरे
बराबर निचोड़ा रब्बा
चली थी कहाँ मैं देखो
कहाँ ला के छोड़ा रब्बा
मुकद्दर पे ताना कैसे
कसे मन निगोड़ा रब्बा
लगे ए 'राज' तेरा ये
कहानी का रोड़ा रब्बा
********************
Comment
आदरणीय लक्ष्मण जी आपसे शायद भाव समझने में चूक हो गई ये ग़ज़ल बच्चों के लिए नही है ऐनी वे हार्दिक आभार आपका स्नेह् बनाए रखिए
विंध्येश्वरि प्रसाद जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ दरअसल छोटी बहर पर पहली बार लिखने का प्रयास किया था पर रदीफ कि कमी (जो आदरणीय वीनस जी ने इंगित की थी )खटक रही थी अब सोचते सोचते रदीफ मिल गया जिसमे कोई अशआर
भी चेंज नही करना पड़ा सो जोड़ दिया |और आपकी प्रतिक्रिया से आश्वस्त हुई कि रदीफ काम कर गया
गजल विधा की तो विद्वजन जाने, पर रचना बेहद पसंद आई, और बच्चों को भी पसंद आएगी
आदरणीय वीनस जी आज इस ग़ज़ल के लिए एक रदीफ मिल गया है देखिये वो जोड़ कर ग़ज़ल कैसी बनी
आदरणीय प्रदीप कुमार जी आपका तहे दिल से आभार
आदरणीया राजेश कुमारी जी
सादर
खूब सूरत भाव लिए रचना हेतु बधाई.
आदरणीय वीनस जी परामर्श हेतु हार्दिक आभार हमे के साथ भी ये कफिया ही काम कर सकेंगे जैसे ,छोड़ा ,जोड़ा ,मोड़ा ,रोड़ा ,मैं सोचती हूँ इसे ऎसे ही रहने देती हूँ और इस रदीफ के साथ कोई दूसरी ग़ज़ल लिखने का प्रयास करूँगी क्योंकि पूरी ही चेंज करनी पड़ेगी
आदरणीया
मेरे विचार में "हमें" रदीफ इस ग़ज़ल को पूर्ण कर सकती है वाक्य विन्यास अनुसार कुछ बदलाव ग़ज़ल में और निखार आएगा
१- २ शेर को छोड़ना भी पड़ सकता है या भाव बदलना पड़ सकता है
जैसे -
चले थे कहाँ के लिए
कहाँ ला के छोड़ा हमें...
सादर
आदरणीय डॉ. अजय जी तहे दिल से शुक्रिया आपका
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online