For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
रसिक भ्रमर को भाय,मनोहर वदन सजीले
कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले

*******************************************

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2013 at 12:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी आपको रचना पसंद आई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 13, 2013 at 12:14pm

सुन्दर रचना और ज्ञानवर्द्धक टिप्पणियाँ..

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:54pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:53pm

मंजरी पांडेय जी आपको कुण्डलिया पसंद आई हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:52pm

आदरणीय सलिल जी हार्दिक आभार आपका मनोग्य शब्द का संशय दूर् किया प्राची जी का भी आभार जिन्होंने इस त्रुटि को इंगित किया 

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 6:49pm

पीले पीले वेश में आया बसंत " ह्रदय में खुशबू घोल गया .

आदरणीया  को बधाई।

Comment by sanjiv verma 'salil' on February 12, 2013 at 6:29pm

राजेश जी!
अच्छी कुण्डली हेतु बधाई.
ज्ञान = २ + १ = ३
विज्ञान = २ + २ + १ = ५
आरोज्ञ = आरोग्य = २ +२ +१ = ५
मनोज्ञ = मनोग्य = १ + २ = १ = ४
(आधा ग =  'ग्' = पूर्वाक्षर के साथ उच्चारित होगा जो पहले से दीर्घ हो तो दीर्घ अर्थात २ गिना जाएगा, पूर्वाक्षर लघु हो तो 'ग्'  से मिलकर दीर्घ हो जाएगा)
अज्ञ = २ + १ = ३
विज्ञ = २ + १ = ३

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 12, 2013 at 5:01pm

सुन्दर कुण्डलियाँ, जिसके माध्यम से ऋतुराज बसंत के आगमन का अहसास कराया है, हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 12, 2013 at 3:42pm

विज्ञान की मात्रा ५ है 

(वि + आधा ज )=२   +     ञा = २    +    न +१      =   ५ 

विज्ञान में आधा ज का भार वि पर जा रहा है, जिससे इसे २ गिनते हैं 

परन्तु ज्ञान में    ज्ञा को २ ही गिनेंगे क्योंकि आधा ज का भार किसी और अक्षर पर नहीं पढ़ रहा है, इसलिए ज्ञान +३ होगा ..

शायद यह मैं स्पष्ट कर पाई.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 12, 2013 at 3:37pm

आदरणीया राजेश जी,

मुझे याद है कि एक बार आदरणीय सौरभ जी से  'ज्ञ' संयुक्ताक्षर पर मंच पर चर्चा हो चुकी है, 

तब हमें पता चला था कि ज्ञ = आधा ज + ञ होता है ... जो व्याकरण की मूलभूत पुस्तकों में भी दिया गया है.

मनोज्ञ की मात्रा भी ४ ही होगी, और मनोग्य की मात्रा भी ४ ही होगी.   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service