प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |
प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?
सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |
निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||
पश्चिम का तो चढ़ रहा ,प्रेम दिवस उन्माद |
अपने पर्वों के लिए ,पाल रहे अवसाद||
युवक युवतियों के लिए ,दिन है बहुत विशेष |
खुली मुहब्बत का मिले ,हर दिल को संदेश||
पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |
प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||
लगा डुबकियाँ कुंभ में ,तन का मैल उतार |
कहाँ उतारे सोच ले ,मन का शेष विकार||
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Comment
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी आपका हार्दिक आभार|
दिवस विशेष के अनुसार बहुत सुन्दर रचना. हार्दिक बधाई आदरेया राजेश कुमारी जी.सादर.
आदरणीय गणेश बागी जी आपको दोहे पसंद आए मेरा लिखना सार्थक हुआ हृदय से आभारी हूँ
आदरणीया राजेश कुमारी जी , ये दोहे क्या कुछ नहीं समेटे हैं , बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकार करें ।
बहुत बहुत शुक्रिया प्रवीण जी आपको दोहे पसंद आए
सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |
निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||
सही कहा राजेश जी एक दिन बाद क्या खो जाता है प्यार...प्यार कभी नहीं खोता समय के साथ गहरा हो जाता है ...
आदरणीय प्रदीप कुमार जी आपको दोहे पसंद आए और प्रतिक्रिया में अपने सुंदर भाव जोड़े हार्दिक आभार आपका
प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |
प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?
खो जाता है प्यार फूल को फूल क्यों देते
चुभ जाते जब कांटे तब काहे को रोते
सुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार
आदरणीया राजेश कुमारी जी
सादर
हार्दिक आभार मंजरी पांडेय जी बसंत पंचमी कि बधाई आपको
प्रीत दिवस के प्रीत भींगे दोहे मन को भा गए। ऋतु बसंत की नाइन हिय पे शबद बाण चला गए।
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