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माँ तुम ममता का मूर्त रूप
तुम सतरंगी स्नेह -आँचल
तुम मंदिर प्रांगन सी पवित्र
तुम पावन -पुनीत गंगाजल
टेढ़ा -मेढ़ा विकट जीवन जगत
तुम सीधी-सादी सरल प्रांजल
छल ,छदम ,कपट चारों तरफ़
माँ तेरी गोदी निर्मल ,निश्छल
पावक ,अनल सामान जीवन
तुम चन्दन की छाया शीतल
तेरे आशीषों की ज्योत्सना से
पथ मेरा नित -नित उज्जवल
पाने तेरा वात्सल्य सोम -सुधा
ज़न्म-ज़न्म पी लूँ जीवन गरल
तेरी कोख पाने की अभिलाषा में
स्वयं -भू भी है आतुर प्रतिपल
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

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Comment by asha pandey ojha on May 10, 2010 at 11:33pm
thnx Vivek ji & aleem ji ..
Comment by aleem azmi on May 10, 2010 at 9:39pm
bahut khoosurat rachna hai maa ...maa hoti hi lakho me ek ...bas kash jo bhatke hue unhe maa ki ahmiyat samajh me aajaye...ki maa ki azmat zindagi me kitni sukhad vo importance
shukriya is blogs ke liye ...mam bahut umda likha hai aapne...
aleem
Comment by विवेक मिश्र on May 10, 2010 at 11:07am
Ofcourse "Maa" is the best.. Aur upar se aapne jis tarah "Maa" ko paribhaashit kiya hai, Asha Di.. Its really suparb..
Comment by asha pandey ojha on May 9, 2010 at 11:53pm
aap sahee kah rahe hain sir ..maa shbd ..tamam jindgee kaa khaleepan bhar deta hai ..our uska n hona tamam jindgee khalee kar deta hai ..prtikriya ke liye..dhnywaad kh ke maa kaa mahtw kam nahee karungee ..!

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 9, 2010 at 11:39pm
आशा जी, तकरीबन 3 साल पहले मेरे सर से मेरी माँ का साया उठ गया था ! कल आपकी कविता पढ़ी - दिवंगत माँ का मुस्कुराता चेहरा और हर वक़्त आशीर्वाद देती उनकी आवाज़ अचानक साक्षात् मेरे सामने आ खडी हुई ! बहुत वक़्त के बाद खुश्क आँखों में सैलाब आया - सब कुछ होते हुए भी कुछ भी ना होने का एहसास बड़ी शिद्दत से महसूस हुआ ! सारा दिन माँ मेरे आस पास रही इसी लिए आपकी इस पाकीज़ा कविता पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे पाया ! बहुत ही उम्दा लिखा है आपने, भगवान सब के सर पर हमेशा माँ का साया बनाये रखे !
Comment by asha pandey ojha on May 9, 2010 at 6:11pm
aap sab ka bahut bahut aabhar ..
Comment by Biresh kumar on May 9, 2010 at 5:05pm
nice !
Comment by jogeshwar garg on May 9, 2010 at 12:45pm
bahut sundar !
Comment by Kanchan Pandey on May 9, 2010 at 11:21am
Aasha didi aap ki ees kavita ka jabab nahi hai, mother's day par eesasey achha gift nai mil sakta, bahut badhiya gift aap di hai didi,
Comment by Raju on May 9, 2010 at 9:51am
माँ को completely describe नही किया जा सकता.......but aapne apni kavita me summrise jarur kar diya hai.........bahut hi achhi kavita hai Asha jee..

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