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ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
ये दुनिया इक मुसाफ़िर ख़ाना
इसमें बसने का ख़याल न कर
ग़मे दहर का झगड़ा लेकर
तूं अपने घर में बवाल न कर
दर्द का दरमाँ तड़फ ही है
करके मुहब्बत मलाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
याद कर वो माज़ी के मंज़र
तूं अपना बरबादे-हाल न कर
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर

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Comment

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Comment by Hilal Badayuni on October 22, 2010 at 12:35pm
ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
bahut khoobsurat ghazal kahi hai
Comment by satish mapatpuri on May 16, 2010 at 11:49am
आशा जी ,सर्वप्रथम इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मेरा साधुवाद स्वीकार करें .
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है .
Comment by Chhavi Chaurasia on May 16, 2010 at 6:44am
ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर ...बहुत ही अच्‍छी और दिल को छू लेने वाली रचना है.
Comment by Anil Tiwari on May 5, 2010 at 3:46pm
bahot khoob aapne arj kiya hi ye khuda intani kamal kar ki hamari jiindagi itane khwab pura karo
Comment by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 3:33pm
bahut badhia
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर
Comment by satish mapatpuri on May 5, 2010 at 1:46pm
आशा जी ,इस बेहतरीन ग़ज़ल मेरा साधुवाद स्वीकार करें . धन्यवाद
Comment by asha pandey ojha on May 5, 2010 at 12:33pm
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Girraj Kishore Sharma on May 5, 2010 at 10:01am
"आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर"

बहुत ही उम्दा पंक्तिया हैं|
Comment by Anil Tiwari on May 5, 2010 at 9:33am
achi vichar hi motivate hone ke liye thanks to you for your good thinks
Comment by Sanjay Kumar Singh on May 5, 2010 at 8:50am
Achhi gazal hai,aek aek shayer bahut hi arthpurna hai, bahut badhiya,

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