For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ तुम ममता का मूर्त रूप
तुम सतरंगी स्नेह -आँचल
तुम मंदिर प्रांगन सी पवित्र
तुम पावन -पुनीत गंगाजल
टेढ़ा -मेढ़ा विकट जीवन जगत
तुम सीधी-सादी सरल प्रांजल
छल ,छदम ,कपट चारों तरफ़
माँ तेरी गोदी निर्मल ,निश्छल
पावक ,अनल सामान जीवन
तुम चन्दन की छाया शीतल
तेरे आशीषों की ज्योत्सना से
पथ मेरा नित -नित उज्जवल
पाने तेरा वात्सल्य सोम -सुधा
ज़न्म-ज़न्म पी लूँ जीवन गरल
तेरी कोख पाने की अभिलाषा में
स्वयं -भू भी है आतुर प्रतिपल
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on May 10, 2010 at 11:33pm
thnx Vivek ji & aleem ji ..
Comment by aleem azmi on May 10, 2010 at 9:39pm
bahut khoosurat rachna hai maa ...maa hoti hi lakho me ek ...bas kash jo bhatke hue unhe maa ki ahmiyat samajh me aajaye...ki maa ki azmat zindagi me kitni sukhad vo importance
shukriya is blogs ke liye ...mam bahut umda likha hai aapne...
aleem
Comment by विवेक मिश्र on May 10, 2010 at 11:07am
Ofcourse "Maa" is the best.. Aur upar se aapne jis tarah "Maa" ko paribhaashit kiya hai, Asha Di.. Its really suparb..
Comment by asha pandey ojha on May 9, 2010 at 11:53pm
aap sahee kah rahe hain sir ..maa shbd ..tamam jindgee kaa khaleepan bhar deta hai ..our uska n hona tamam jindgee khalee kar deta hai ..prtikriya ke liye..dhnywaad kh ke maa kaa mahtw kam nahee karungee ..!

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 9, 2010 at 11:39pm
आशा जी, तकरीबन 3 साल पहले मेरे सर से मेरी माँ का साया उठ गया था ! कल आपकी कविता पढ़ी - दिवंगत माँ का मुस्कुराता चेहरा और हर वक़्त आशीर्वाद देती उनकी आवाज़ अचानक साक्षात् मेरे सामने आ खडी हुई ! बहुत वक़्त के बाद खुश्क आँखों में सैलाब आया - सब कुछ होते हुए भी कुछ भी ना होने का एहसास बड़ी शिद्दत से महसूस हुआ ! सारा दिन माँ मेरे आस पास रही इसी लिए आपकी इस पाकीज़ा कविता पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे पाया ! बहुत ही उम्दा लिखा है आपने, भगवान सब के सर पर हमेशा माँ का साया बनाये रखे !
Comment by asha pandey ojha on May 9, 2010 at 6:11pm
aap sab ka bahut bahut aabhar ..
Comment by Biresh kumar on May 9, 2010 at 5:05pm
nice !
Comment by jogeshwar garg on May 9, 2010 at 12:45pm
bahut sundar !
Comment by Kanchan Pandey on May 9, 2010 at 11:21am
Aasha didi aap ki ees kavita ka jabab nahi hai, mother's day par eesasey achha gift nai mil sakta, bahut badhiya gift aap di hai didi,
Comment by Raju on May 9, 2010 at 9:51am
माँ को completely describe नही किया जा सकता.......but aapne apni kavita me summrise jarur kar diya hai.........bahut hi achhi kavita hai Asha jee..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service