For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी गजल...

 

गर्मियों की शान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

धूप में वरदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हर पथिक हारा थका, पाता यहाँ विश्राम है,

भेद से अंजान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

नीम, पीपल, हो या वट, रखते हरा संसार को,

मोहिनी,  मृदु-गान  है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हाँफते विहगों की प्यारी, नीड़ इनकी डालियाँ,

और इनकी जान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

रुख बदलती है मगर, रूठे नहीं मुख मोड़कर,

सृष्टि का अनुदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

जो न साधन जोड़ पाते, वे शरण पाते यहाँ,

दीन का भगवान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हे मनुष मिटने न दो, जीवन के अनुपम स्रोत को,

गूढ यह विज्ञान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

----कल्पना रामानी   

Views: 1083

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2013 at 10:00am

चिलचिलाती धूप में पेड़ के निचे ठंडी हवा का अहसास ही शकुन देते है | साधनों के अभाव में गरीब का तो आसरा होता है |

निम्न पंक्तियों से दिए गए सुन्दर सन्देश के लिए बधाई स्वीकारे आदरणीय कल्पना रामानी जी -

हे मनुष मिटने न दो, जीवन के अनुपम स्रोत को,

तल्खियों का त्राण है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 9:56am

पेड़ों की ठंडी हवा पर इतने प्रेम से लिखी गयी ये गज़ल पढ़ कर मन खुश  हो गया...

पूरी गज़ल बेहद पसंद आयी 

हार्दिक बधाई आ० कल्पना रामानी जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 11:07pm

नीम, पीपल, हो या वट, रखते हरा संसार को,

भूमि पर वरदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।....................वाह! बहुत खूब.

आदरणीया कल्पना रामानी जी सादर, बहुत सुन्दर गजल प्रस्तुत की है बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

 

Comment by coontee mukerji on April 15, 2013 at 10:53pm

कल्पना जी , शेर पढ़ने में जितना मज़ा आ रहा है  सुनने में तो क्या कहने .बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें

Comment by कल्पना रामानी on April 15, 2013 at 9:57pm

सभी सम्मानित मित्रों का मेरी रचना को इतना स्नेह देने के लिए हार्दिक आभार, आ॰ गणेश जी, विनय जी व संदीप जी, यह भूल जल्दबाज़ी में हो गई है, लिखने के एकदम बाद पोस्ट कर दी, संदीप जी का कहना एकदम दुरुस्त है। मैं अभी ठीक कर देती हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2013 at 9:12pm

आदरणीया कल्पना रमानी जी, क्या कहने इस मुसलसल ग़ज़ल पर, सभी शेर एक से बढ़कर एक, उसपर भी एक लंबी रदिफ़ के साथ पूरी ग़ज़ाल्क़ो निभा ले जाना, क्या बात है, जैसा की संदीप भाई ने भी कही है, एक मिसरा वजन से भटक गया है .....

//रुख बदलती है मगर, नहीं रूठती मुख मोड़कर//

मेरा सुझाव है कि ...

रुख बदलती है मगर, रूठती नही मुख मोड़कर,

बहुत बहुत बधाई और दाद क़ुबूल करें इस खूबसूरत प्रस्तुति पर |

Comment by vijay nikore on April 15, 2013 at 8:10pm

कल्पना जी,

 

// रुख बदलती है मगर, नहीं रूठती मुख मोड़कर,

   सृष्टि का अनुदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।//

बहुत ही सुन्दर भाव चुने हैं आपने।

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 15, 2013 at 8:01pm

आदरणीया कल्पना जी सादर प्रणाम 

इस खूबसूरत सी ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल फरमाइए 

सादर 

केवल यह पंक्ति प्रवाह से खारिज लग रही है 

\\रुख बदलती है मगर, नहीं रूठती मुख मोड़कर,\\

इसे यदि यूँ कहें 

रुख बदलती है मगर, रूठे नहीं मुंह मोड़कर 

तो शायद बात बन जाएगी 

एक बार पुनः इस ग़ज़ल हेतु बधाई हो आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
29 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
36 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मंहगाई पर व्यंग्य करता बढ़िया कुंडलियां छंद हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार…"
41 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई। सादर"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। क्या कुंडलियां छंद में दो दोहे…"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी हार्दिक धन्यवाद आपका।सादर।"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service