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अनुभूति तुम्हारे प्यार की

 कह सकती हूँ अकेले ,
पर बाँट सकती हूँ,तुम्हारे संग |

मुस्करा सकती हूँ अकेले ,
पर हंस सकती हूँ तुम्हारे संग |

आनंद ले सकती हूँ अकेले ,
पर जश्न मना सकती हूँ तुम्हारे संग |

यही है सुन्दरता हमारे रिश्ते की |
हम एक दूसरे बिन कुछ भी नहीं | |

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on May 17, 2013 at 7:32pm

आभार @श्रीराम  जी 

Comment by Kedia Chhirag on May 17, 2013 at 4:31pm

बेहद खूबसूरत ...दिल से बहुत बहुत बधाई .......सादर 

Comment by विजय मिश्र on May 17, 2013 at 4:10pm
एकल और युगल की परिभाषा वर्णित करती एक सुंदर कविता . बधाई
Comment by ram shiromani pathak on May 17, 2013 at 3:43pm

bahut hi sundar dil ko chhu gayi//hardik badhai

Comment by श्रीराम on May 17, 2013 at 11:31am

बहुत सुन्दर अनुभूति ....

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