For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वन नन्दन था वय षोडश कंचन देह लिए चलती वह बाला
शुचि स्वर्ण समान लगे शुभ केश व चन्द्र प्रभा सम वर्ण निराला
नृप एक वहीं फिरता मृगया हित यौवन देख हुआ मतवाला
वह नेत्र मनोहर मादक थे मदमस्त हुआ न गया मधुशाला
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:17am

बहुत बहुत आभार जवाहर लाल जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:16am

बहुत आभार लक्ष्मण जी

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:16am

abhaar akhilesh krishna ji

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 12, 2013 at 7:24pm

हिन्दी शब्दों का सुंदर प्रयोग , बधाई आशुतोष भाई। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2013 at 3:25pm

बहुत सुन्दर रचना पढ़कर ही आ जाए मस्ती मन मुग्ध कर जाती 

ऐसे में भुत बधाई भाई श्री आशुतोष जी सुन्दर यह रचना मदमाती 

सगण आठ की बताए विद्वजन यह सुन्दर सवैया नयनो की मधुहाला

इससे अधिक न मादक होती फिर क्यों कर कहे कोई उसको मधुशाला | 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 12, 2013 at 2:46pm

वाह वाह अति सुन्दर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 2:02pm

आदरणीय आशुतोष जी, आपका बहुत दिनों बाद इस मंच पर आना हुआ है. आपका स्वागत है.


प्रस्तुत छंद रचना में दुष्यंत-शकुन्तला के प्रथम मिलन के प्रथम कुछ क्षणों को शब्दबद्ध कर आपने लालित्य की मानों वर्षा ही कर दी है. शकुन्तला के दैहिक विन्यास को अत्यंत उदार शब्द दिये हैं आपने. वाह ! आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय.

वैसे इस मंच की परंपरा के अनुरूप छंद-रचना के साथ प्रयुक्त छंद के नाम और संक्षिप्त विधान को भी साझा करना आवश्यक होता है. ताकि सीखते हुए पाठक सहज ही छंद-रचना का रसास्वादन कर सकें.  आप द्वारा प्रस्तुत यह छंद-रचना सुन्दरी सवैया की सुन्दर बानगी है जो आठ सगण के पश्चात एक गुरु अर्थात् सगण X 8 + गुरु के विधान को संपुष्ट करती है.


सादर
 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 11, 2013 at 10:01pm

वाह मस्त मस्त क्या दृश्य उकेरा है आदरणीय अप्रितम हृदयस्पर्शी आनंद आ गया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:23pm

वाह आदरणीय आशुतोष जी ,अनुपम शब्द संयोजन //बहुत बहुत बधाई आपको //सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 6:49pm

आदरणीय बाजपेयी जी , अदभुत रचना , अदभुत शब्द सन्योजन !!! वाह !! बधाई स्वीकार करें !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है सादर"
42 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से काफ़ी कुछ…"
45 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी बहुत शुक्रिया आपका, जी ज़रूर कोशिश करती हूँ सादर"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर है सुझाव आभार आपका सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर सुझाव के लिए भी आभार आपका,सुधार करती हूँ सादर"
51 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए क़रम व महत्वपूर्ण इस्लाह करने के लिए वैसे मतला का का भाव ये लिया…"
54 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"प्यार में दर्द था दवा भी थीथी वफादार बेवफा भी थी - प्यार से दिल चुरा लिया मेराक्या कहूँ वो बहुत…"
56 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service