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माँ – बाप (क्षणिकाएँ )

(1)

हमारे सपने लेते रहे आकार

बड़े और बड़े

महानगर की इमारतों की तरह

भव्य और विशाल

हमारे सपने

बढ़ते रहे

आगे और आगे..

कभी खुद से

कभी दूसरों से

आगे बढ़ जाने की चाह में 

माँ – बाप की ज़रूरतें

छोटी होती गईं 

टूट चुके गाँव के मकान के बाद 

दो वक्त की रोटी में सिमट गईं।

 

(2)

 

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ ।

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 23, 2013 at 9:29pm

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ ।

मर्मस्पर्शी, बहुत प्रभावित करती पंक्तियाँ बधाई स्वीकारें आदरणीय नादिर साहब

Comment by annapurna bajpai on December 23, 2013 at 7:04pm

आ0 नादिर भाई जी सुंदर भाव युक्त क्षणिकाएं , दूसरी क्षणिका बहुत ही प्रभाव शाली है । बधाई आपको । 

Comment by savitamishra on December 23, 2013 at 5:01pm

बहुत बढ़िया

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 23, 2013 at 1:35pm

आदरणीय बेहद सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ । आदरणीय नादिर जी इन पंक्तियों के लिए विशेषतौर से बधाई स्वीकारें. कमाल कर दिया आपने

Comment by Meena Pathak on December 23, 2013 at 12:40pm

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ ।............अनुपम ,,,, सादर बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 22, 2013 at 4:30pm

अदरणीय नादिर भाई , लाजवाब क्षणिकाओं के लिये आपको बधाई ॥

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ । .........    बेमिसाल ! आदरणीय ढेरों बधाइयाँ ॥

Comment by नादिर ख़ान on December 20, 2013 at 10:07pm

अदरणीय, अविनाश जी, डॉ गोपाल नारायण जी, गणेश जी  

आदरणीया,  राजेश कुमारी जी, सविता जी  

आप सबने कविता को सराहा एवं मेरा हौसला बढ़ाया आप सब का शुक्रिया ।

आभार.... 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 20, 2013 at 9:50pm

//

वे कभी नहीं आए

हमारे सपनों के बीच

मगर जुड़े रहे हमसे

अपनी दुआओं के साथ ।//

आहा, बहुत ही भावप्रधान रचना, प्रथम प्रस्तुति "क्षणिका" दायरे में आएगी या नहीं इसपर मैं निश्चित नहीं हूँ हालाकि दोनों रचनाएं मुझे अच्छी लगीं, बधाई नादिर भाई |

Comment by savitamishra on December 20, 2013 at 9:03pm

बहुत सुन्दर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 7:59pm

सुन्दर भाव युक्त हृदय स्पर्शी क्षणिकाएं बहुत बहुत बधाई 

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