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बाप के जूते - अतुकांत (गिरिराज भंडारी)

बाप के जूते

***********

जब से

बाप के जूते

बच्चों के पैरों  में

आने लगे हैं ,

वो सही ग़लत

बाप को ही

समझाने लगे हैं  ।

बुजुर्ग बाप

अपने जीवन भर के

अनुभवों की थाती लिये

अब

किसी कोने लगा है ।

 

अपनी असहायता पर ,

अनुपयोगिता पर

कोने लगा ,

रोने लगा है ।

 

खा रहा है रोटियाँ

अकेलेपन के साथ

इसलिये कि वो ज़िन्दा है

वैसे अब जीवन में

कुछ धरा नही है ।

 

वो ज़िन्दा इसलिये है

क्योकि , वो

मरा नही है ।

************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 895

Comment

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Comment by vandana on January 9, 2014 at 5:55am

मर्मस्पर्शी रचना आदरणीय गिरिराज सर 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 8, 2014 at 10:38pm

खा रहा है रोटियाँ

अकेलेपन के साथ

इसलिये कि वो ज़िन्दा है

वैसे अब जीवन में

कुछ धरा नही है ।

 

वो ज़िन्दा इसलिये है

क्योकि , वो

मरा नही है ।

   

एक सच्चाई और दर्द बयाँ करती बढ़िया कविता |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 8, 2014 at 1:54pm

आदरणीया सरिता जी , रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 8, 2014 at 1:53pm

आदरणीय अविनाश भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के  लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:17am

आदरणीय गिरिराज जी ह्रदयस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2014 at 10:57pm

बाप को ही

समझाने लगे हैं  ।...bat pate ki/

वो ज़िन्दा इसलिये है

क्योकि , वो

मरा नही है ।...dardanak....ह्रदय स्पर्शी शब्द ....बहुत बढ़िया आदरणीय गिरिराज सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2014 at 10:19pm

आदरणीया महिमा जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by MAHIMA SHREE on January 7, 2014 at 7:47pm

आज के यथार्थ को दर्शाती ह्रदयस्पर्शी प्रस्तुती .आदरणीय गिरिराज सर .. अनेकों बधाईयाँ. सादर /


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2014 at 4:56pm

आदरणीया प्रियंका जी , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार ॥

Comment by Priyanka singh on January 7, 2014 at 4:16pm

वो ज़िन्दा इसलिये है
क्योकि , वो
मरा नही है ।......ह्रदय स्पर्शी शब्द ....बहुत बढ़िया लिखा है सर ....बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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