वक्त की आंधी में ....
कुछ तुमने बढ़ा ली दूरियां
कुछ हम मज़बूर हो गए
अपने अपने दायरों में
इक दूजे से दूर हो गये
चंद लम्हों की मुलाक़ात में
जन्मों के वादे कर लिए
चंद कदम चल भी न पाये
और रास्ते कहीं खो गये
वक्त की आंधी में सारे
स्वप्न गर्द में खो गये
कर न पाये शिकवा कोई
हम दो किनारे हो गये
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय बैदयनाथ सारथी जी रचना पर स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार … नेट प्रॉब्लम होने के कारण आभार व्यक्त न कर सका .... क्षमा चाहता हूँ
आदरणीय अनुपम बाजपयी जी रचना पर स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार … नेट प्रॉब्लम होने के कारण आभार व्यक्त न कर सका .... क्षमा चाहता हूँ
आज के युवाओं के उत्साही प्रेम के हश्र की यथा अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई प्रस्तुति पर
वक्त की आंधी में सारे
स्वप्न गर्द में खो गये
कर न पाये शिकवा कोई
हम दो किनारे हो गये
बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय शुशील जी
बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!
अपने अपने दायरों में
इक दूजे से दूर हो गये
सुंदर
वाह !! बहुत सुन्दर..
वाकई गजब है जिन्दगी की दास्ताँ अमूनन ऐसा ही होता है ..आदरणीय शुशील जी आपको हार्दिक बधाई के साथ ..सादर
सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई
आदरणीय सुशील भाई , सुन्दर ॥ असफल प्रेम की मज़बूरिया बताती आपकी रचना के लिये के लिये आपको बधाई ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online