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ग़ज़ल '' आओ सिक्का उछाल लेते हैं '' ( गिरिराज भंडारी )

2122     1212     22 /112

 

आज  फिर से  बवाल  लेते हैं

प्रश्न   कोई   उछाल  लेते  हैं

 

प्यास का हल कोई हमीं करलें

वो  समझने में  साल लेते  हैं

 

उनको आँखों में सिर्फ अश्क़ मिले

वो जो सब का मलाल लेते हैं

 

तेग वो ही चलायें, खुश रह लें

आदतन, हम जो ढाल लेते हैं

 

आज कश्मीर पर हो हल कोई

आओ  सिक्का उछाल लेते हैं  

 

भूख, उनके खड़ी रही दर पर

रिज़्क जो- जो हलाल लेते हैं

 

फिर उजाला मिलेगा सूरज से

बंट   रहा है ख़याल , लेते  हैं

***************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

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Comment

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Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 8:11pm

आदरणीय गुमनाम भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से आभार ॥

Comment by savitamishra on April 19, 2014 at 7:54pm

आज  फिर से  बवाल  लेते हैं

प्रश्न   कोई   उछाल  लेते  हैं.....aajkl neta kar bhi rahen hai khub

Comment by Krishnasingh Pela on April 19, 2014 at 7:05pm

वाह वाह ! 

वाे समझने में साल लेते हैं 

क्या खूब कही । ढेराें दाद कबूल कीजिए अादरणीय गिरिराज जी । 

Comment by coontee mukerji on April 19, 2014 at 7:04pm

वाह क्या बात है....बधाई आपको गिरिराज जी.

Comment by वेदिका on April 19, 2014 at 6:51pm
वाह !! अति सुंदर गजल।
सधे हुए पुख्ता शेअर!
बहुत सी शुभकामनाएं आदरणीय गिरिराज जी!
Comment by gumnaam pithoragarhi on April 19, 2014 at 4:51pm

आज  फिर से  बवाल  लेते हैं

प्रश्न   कोई   उछाल  लेते  हैं

 

प्यास का हल कोई हमीं करलें

वो  समझने में  साल लेते  हैं

वाह सर बहुत खूब बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 1:38pm

आदरणीय दीपक भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 1:37pm

आदरणीय मुकेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 19, 2014 at 1:06pm

वाह जनाव क्या ख़ूब कहा

उनको आँखों में सिर्फ अश्क़ मिले
वो जो सब का मलाल लेते हैं

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 19, 2014 at 12:01pm

आदरणीय गिरिराज जी
ज़मीनी सच्चाई से जुड़े ख़यालों को तरजीह दिया है आपने इस ग़ज़ल में. .बहुत बहुत मुबारकबाद

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