For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 1222 212 1222

हर अदा, हवाओं की शोखियाँ समझती हैं

बेखबर नहीं सबकुछ पत्तियाँ समझती हैं

 

थरथराने लगती हैं इक ज़रा छुअन से ही

बागबाँ है या भँवरे डालियाँ समझती हैं

 

दर्द कितना है कैसा लग रहा है मुझको ये

मेरे ज़ख़्म से लिपटी पट्टियाँ समझती हैं

 

आजकल निगाहों को क्या हुआ ज़माने की

तज़्रिबे को चेहरे की झुर्रियाँ समझती हैं

 

हसरतें हदों को ही भूलने लगी हैं आज

फिक्र को बड़ों की वो बेड़ियाँ समझती हैं

 

ख़ौफ़ के मनाज़िर को सुब्ह की ख़बर मे यूँ

दौड़ती हुई नज़रें सुर्खियाँ समझती हैं

 

गर दुआ भी दी जाये तो बुरा लगे है क्यूँ

नफ़रतें मुहब्बत को गालियाँ समझती हैं

 

क्यूँ उन्हें मेरी बातों से शिकायतें इतनी

हाले दिल मेरा मेरी सिसकियाँ समझती हैं

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on May 28, 2014 at 9:18pm

क्या बात है जनाब शिज्जु भाई, हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुति.... हर शेर कीमती है ।

बहुत मुबारकबाद ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 2:41pm

शिज्जू जी

  नफरते  मुहब्बत को गालिया समझती है i  बहुत खूब i पूरी गजल पर फ़िदा हूँ i आमीन i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 28, 2014 at 2:40pm

आदरणीय शिज्जू जी
ख़ौफ़ के मनाज़िर को सुब्ह की ख़बर मे यूँ
दौड़ती हुई नज़रें सुर्खियाँ समझती हैं...बेहतरीन
भावों से भरी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनायें सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 28, 2014 at 12:03am

वाह! क्या खूब गजल कही है आपने, हर एक शेर दिल को छू जाता है तहे दिल से बधाई आदरणीय शिज्जू जी

Comment by Vindu Babu on May 27, 2014 at 11:14pm

हृदय स्पर्शी गजल लिखी है आपने शिज्जू जी।

सादर बधाई आपको।

Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 10:55pm

बहुत बहुत उम्दा ..... हार्दिक बधाई आ० शिज्जू जी | सादर

Comment by coontee mukerji on May 27, 2014 at 5:41pm

हर अदा, हवाओं की शोखियाँ समझती हैं

बेखबर नहीं सबकुछ पत्तियाँ समझती हैं.....बहुत खूब.

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on May 27, 2014 at 4:54pm

ख़ौफ़ के मनाज़िर को सुब्ह की ख़बर मे यूँ

दौड़ती हुई नज़रें सुर्खियाँ समझती हैं

  वाह्ह क्या बात है खूब कही है, बहुत बहुत बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
21 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service