For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'संस्कार' कहानी

सुमन बदहवास सी घटना स्थल पर पहुंची, अपने बेटे प्रणव की हालत देख बिलखने लगी| भीड़ की खुसफुस सुन वह सन्न सी रह गयी, एक नवयुवती की आवाज सुमन को तीर सी जा चुभी "लड़की छेड़ रहा था उसके भाई ने कितना मारा, कैसा जमाना आ गया ......|" "अरे नहीं, 'भाई नहीं थे', देखो वह लड़की अब भी खड़ी हो सुबक रही है" बगल में खड़ी बुजुर्ग महिला बोली  ....यह सुन सुमन का खून खौल उठा,  और शर्म से नजरें नीची हो गयी| प्रणव पर ही बरस पड़ी "तुझे क्या ऐसे 'संस्कार' दिए थे हमने करमजले, अच्छा हुआ जो तेरे बहन नहीं है| प्राण ..."मम्मी सुनो तो मैंने ....!" पर सुमन बड़बड़ाती उस लड़की की तरह जाकर बोली "बेटी माफ़ करना, ऐसा नहीं हैं वह, बस संगत आजकल गलत हो गयी है उसकी, बहुत शर्मिंदा ...."  "नहीं नहीं आंटी जी उसकी कोई गलती नहीं वह तो मुझे बचा रहा था, उसके साथ जो लड़के थे उन्होंने ही आपके बेटे की यह हालत की, सब भीड़ देख भाग खड़े हुए वर्ना ना जाने क्या होता...!" लड़की सुबकते हुए बोली| 

  सुन अचानक गर्व हो आया अपने बेटे पर| बेटे के पास जा उसका सर गोद में रख "हमें माफ़ कर देना मेरे बच्चे, हमने कैसे समझ लिया कि मेरा आदर्श बेटा ऐसा कुछ कर सकता है" बिलखते हुए बोली "तुझे समझाती थी न कि संगत अच्छी रख, देखा अब|" "कोई अम्बुलेंस बुलाओ" चीखने लगी सुमन, अब उसकी आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे|  "संस्कार चाहे जितने भी अच्छे हों बुरी संगत का फल तो भोगना ही पड़ता है" तेरी यह बात गाँठ बाँध ली मैंने, अब बुरी संगत छोड़ दूंगा माँ" .सुन गर्व से सुमन का सर ऊँचा हो गया था|...सविता मिश्रा.....

.

सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 983

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 12, 2014 at 11:24pm

पाण्डेय भाई पहले तो आभार व्यक्त करते है हम .....दुसरे पूछना चाहते है कहा जाए जो सलाह मिलेगी कृपया अवश्य बताये ...सिखने की कोशिश करेगें ..

Comment by savitamishra on August 12, 2014 at 11:23pm

विजय चाचाजी सादर नमस्ते ...बहुत बहुत आभार आपका

Comment by Shubhranshu Pandey on August 12, 2014 at 8:28pm

आदरणीया सविता जी, 

सुन्दर कथा.

अपने संस्कार पर विश्वास, लेकिन समाज में आ रही गिरावट का भी भान...., एक मां अपने मन में अपने बच्चों को ले कर कितने द्वंद में रहती है इसका एक बढिया उदाहरण है. 

कथा प्रवाह के लिये शायद एक बार और जाब टेबल पर जाया जा सकता है. गुणीजन उचित सलाह देंगे.   

सादर.

Comment by vijay nikore on August 12, 2014 at 12:30pm

कितनी ही बार अवस्था का पूरा ज्ञान न होने पर हम "अनुमान" को "प्रमाण" समझ लेते हैं, और तदनुसार अपने मन में "सही" और "गलत" को स्थापित कर लेते हैं। आपकी कहानी इसे अच्छा दृष्टार्थ कर रही है। आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया सविता जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 10:17am

बहुत ही सही विषय पर आपने अपनी कहानी साझा की है, वो महिला हो या पुरुष अगर थोडा सा सच को जानने का  सब्र रखे, तो सब कुछ सामने आ जाता है. वरना लोग दूध के तो जले रहते है शंकाओं में छाछ को भी गर्म कर बैठते है.

आपको बहुत -२ बधाई आदरणीया सविता जी

Comment by savitamishra on August 12, 2014 at 10:10am

गोपाल चाचाजी सादर नमस्ते ......आभार इस सम्मान के लिय आपके विशवास में मेरा भी विशवास कायम है
जितना हम गलत बातो का प्रचार करते है उतनी ही सही बातों का भी प्रचार करे तो सब अच्छा ही होगा ...घटनाए बहुत ऐसी हो रही हैं मानते है हम पर उन पर ऐसे एक दो बच्चे भी भारी पड़ते है

Comment by savitamishra on August 12, 2014 at 10:08am

राजेश दीदी सादर नमस्ते .........आभार दीदी आपका ..सही  कहा आपने

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 11, 2014 at 5:48pm
कहानी से पाठको का सर भी गर्व से ऊँचा उठा होगा i मेरा विश्वास है i

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2014 at 5:39pm

आज कल की घटनाओं को देखते सुनते हर स्त्री असुरक्षित महसूस करने लगी है शंकालु हो गई है चाहे वो माँ हो बहन हो या पत्नी हो ,सुमन का पल भर के लिए शंकालु होना उसी परिस्थिति की और इशारा करता है ,कहानी बहुत अच्छी व् सार्थक लगी हर माँ को भी सजग रहना है आज के दौर में |बहुत- बहुत बधाई सविता मिश्रा जी .

Comment by savitamishra on August 11, 2014 at 4:08pm

विजय भैया सादर नमस्ते .....बहुत बहुत शुक्रिया दिल से जो आपको पसंद आई ..इस मंच पर पहली कहानी हमारी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
21 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service