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ग़ज़ल - चलो कर लें निकलने का बहाना अब ( गिरिराज भंडारी )

१२२२        १२२२       १२२२

अकेले पन को कर ले तू , ठिकाना  अब

क़सम ली है, तो उस चौखट न जाना अब

समय बदला तो वो बदले , नज़र बदली

चलो कर लें  निकलने का  बहाना अब

 

वही आंसू , वही आहें  , वही   ग़म है

कहीं  पे  ख़त्म हो जाये  फ़साना  अब

 

झिझक ये ही हरिक दिल में, यही डर है

कहेगा क्या जो  जानेगा  ज़माना  अब

 

सुनो तितली , सुने  पंछी  बहारें   भी

मेरे उजड़े  हुये घर में , न  आना अब

 

कबूतर  बच  के गुम्बद से  कहाँ जाएँ

कहाँ  ढूंढें,  कहाँ  कर लें  ठिकाना अब

     

वही ज्ज़्बा, वही  बातें , वही   दिल है

मगर चेह्रा  लगा मुझको  पुराना  अब

 

नक़ाब  उलटा अयाँ सच की  हुई शक़्लें

करोगे  क्या  बताओ तो  बहाना  अब

*******************

मौलिक अवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 9, 2014 at 3:02am

बड़ी हिम्मत करके पोस्ट कर रहा हूँ ......

पड़ी मुश्किल लिखे जो खुद, मिटाना अब

क़सम खा के, उसी चौखट में जाना अब

इस शेर में कोई बड़ी बात होगी जो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ लेकिन इसे मैं अपनी सुविधानुसार कुछ ऐसे पढ़ रहा हूँ जो मुझे सहज लग रहा है- 

बड़ी मुश्किल लिखे को खुद, मिटाना अब

क़सम खा के, उसी चौखट में जाना अब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:34pm

अच्छे अश’आर हुए हैं गिरिराज जी, दाद कुबूल कीजिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:40pm

आदरणीय मुकेश भाई , हौसला अफज़ाई  का दिली शुक्रिया !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:39pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये  बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:38pm

आ. राहुल भाई उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:37pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , सराहना के लिये बहुत शुक्रिया !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:36pm

आ. सोमेश भाई आपका बहुत शुक्रिया !


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:36pm

आ. अजय भाई आपका आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:35pm

आदरनीय डा. कँवर करतार भाई , सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2014 at 6:25pm

आ. मिथिलेश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ।

कृपया ध्यान दे...

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