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अंधकार को अंधकार से मिटाते हैं -- डा० विजय शंकर

रौशनी से अन्धकार तो सब मिटा लेते हैं
हम अंधकार को अंधकार से मिटाते हैं |
एक बुराई हटाई , हटाई क्यों , हटाई नहीं ,
साइड में लगाईं , नई बुराई लगाई |
एक फेल को दूजे फेल से बदल दिया ,
एक असफल को फिर असफल होने का
अवसर दिया , और जोरदार एलान किया ,
देखो , हमने कैसा परिवर्तन कर दिया ,
और एक कमजोर का उत्थान भी कर दिया |
क्योंकि हम वीर हैं , हर हाल में जी लेते हैं ,
किसी बुराई से डरते नहीं ,
हर बुराई में जी लेते हैं ,
हर बुराई को झेल लेते हैं ,
हर बुराई के साथ एडजस्ट कर लेते हैं ।
बुराइयों से लड़ते नहीं ,
दायें बाएं करके बस , निकल लेते हैं ,
सह लेते हैं , सह लेते हैं , सहते रहते हैं ।

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2014 at 9:42pm

आदरणीय विजय शंकर भाई , सच यही तो हो रहा है , किया जा रहा है । सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 30, 2014 at 9:22pm
रचना की स्वीकृति के लिए आभार , हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 8:22pm

VIJAY SIR

VOW !  SUBLIME .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 7:17pm

क्योंकि हम वीर हैं , हर हाल में जी लेते हैं ,
किसी बुराई से डरते नहीं ,
हर बुराई में जी लेते हैं ,
हर बुराई को झेल लेते हैं ,
हर बुराई के साथ एडजस्ट कर लेते हैं ।
बुराइयों से लड़ते नहीं ,
दायें बाएं करके बस , निकल लेते हैं ,
सह लेते हैं , सह लेते हैं , सहते रहते हैं ।

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई 

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