For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव वर्ष शुभ हो --- डॉ o विजय शंकर

खुशियाँ, हम हर किसी से बाँट लेते हैं,
खुश भी हो लेते हैं।
गम किस से बांटे , सोंच नहीं पाते हैं ,
खुद ही सह लेते हैं।
फिर भी कुछ तो अपने ऐसे होते ही हैं ,
जो हमारे ग़मों को बाँट लेते हैं।
वो कुछ बहुत ख़ास अपने ही होते हैं।
जो दुःख में साथ होते हैं।
कितने ऐसे हैं जो दुखों को हमारे पास
आने नहीं देते हैं।
रास्ते में रोक लेते हैं,
खुद पे ले लेते हैं।
हम उन्हें जानते नहीं ,
पहचानते भी नहीं ,
वे सामने कभी आते नहीं,
नव वर्ष उन्हें भी मंगलमय हो ,
और हमारे हर अपने को भी हो ,
मंगलमय हो, शुभ हो, शुभ हो, शुभ हो।

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 10:03am
धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, हम अपने जीवन में कितनों से कितने उपकृत होते रहते हैं , हम नहीं जानते , पर होते तो हैं और होते रहते हैं।
नव वर्ष आपको सपरिवार बहुत बहुत शुभ हो, मंगलमय हो। सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2015 at 7:44am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी.. नववर्ष के मौके पर आपने बहुत गहनता से उन आत्मीयजनों को याद किया है जो हमारे जीवन का सापेक्ष हिस्सा तो नहीं होते मगर उनके होने से हम सुखी रहते हैं.. 

आपकी संवेदनशीलता जो नमन आदरणीय..

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 12:53am
धन्यवाद , प्रिय जीतेन्द्र जी , नव वर्ष आपके लिए खूब ढेर सारी खुशियाँ लाये , इतनी कि आप बांटते बांटते थक जाएँ , सस्नेह।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2015 at 7:51pm

शायद एक इंसान की नजर ही ऐसे लोगों को ढूढ पाती हो, आज के स्वार्थ और अवसरवाद समय में. बहुत सुंदर कविता , आदरणीय डा. विजय जी. हार्दिक बधाई व् नूतन वर्ष की शुभकामनायें

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2015 at 12:19am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सोमेश जी, नव वर्ष आपको सपरिवार सुबह एवं मंगलमय हो , सादर।
Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 11:44pm

मंगलमय शुभ विचार पर मंगल -पूर्ण नव वर्ष की कामना के साथ आपका और रचना का हार्दिक स्वागत है |

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 10:28pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, नव वर्ष आपको सपरिवार शुभ हो , मंगलमय हो. सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 9:45pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय हरी प्रसाद दुबे जी, नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2015 at 9:36pm

बहुत सुन्दर मंगल कामना  की आदरणीय विजय भाई , आपको भी नये साल की हार्दिक बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 7:57pm

आदरणीय विजयशंकर सर  सुन्दर अभिवयक्ति,…..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service